घनवात: Difference between revisions
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> लोक को वेष्टित करने वाले तीन वातवलयों में द्वितीय वातवलय । यह मूंग के वर्ण का, | <p> लोक को वेष्टित करने वाले तीन वातवलयों में द्वितीय वातवलय । यह मूंग के वर्ण का, दंडाकार, घनीभूत, उपर-नीचे चारों ओर स्थित चंचलाकृति और लोक के अंत तक वेष्टित है । अधोलोक के नीचे इसका विस्तार बीस हजार योजन और लोक के ऊपर कुछ कम एक योजन है । अधोलोक के नीचे यह दंडाकार है किंतु ऊपर पांच योजन विस्तृत है । मध्यलोक में इसका विस्तार चार योजन रह जाता है । पाँचवें स्वर्ग के अंत में यह पाँच योजन विस्तृत हो जाता है और मोक्ष-स्थान के समीप यह चार योजन विस्तृत रह जाता है । लोक के ऊपर इसका विस्तार एक कोस है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.33-41 </span></p> | ||
Revision as of 16:22, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == Atmosphere–(देखें वातवलय ) ( जंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो/ प्र./106)।
पुराणकोष से
लोक को वेष्टित करने वाले तीन वातवलयों में द्वितीय वातवलय । यह मूंग के वर्ण का, दंडाकार, घनीभूत, उपर-नीचे चारों ओर स्थित चंचलाकृति और लोक के अंत तक वेष्टित है । अधोलोक के नीचे इसका विस्तार बीस हजार योजन और लोक के ऊपर कुछ कम एक योजन है । अधोलोक के नीचे यह दंडाकार है किंतु ऊपर पांच योजन विस्तृत है । मध्यलोक में इसका विस्तार चार योजन रह जाता है । पाँचवें स्वर्ग के अंत में यह पाँच योजन विस्तृत हो जाता है और मोक्ष-स्थान के समीप यह चार योजन विस्तृत रह जाता है । लोक के ऊपर इसका विस्तार एक कोस है । हरिवंशपुराण 4.33-41