चित्त: Difference between revisions
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सर्वार्थसिद्धि/2/32/187/10 <span class="SanskritText">आत्मनश्चैतन्यविशेषपरिणामश्चित्तम् ।</span>=<span class="HindiText">आत्मा के चैतन्यविशेषरूप परिणाम को चित्त कहते हैं ( राजवार्तिक/2/32/141/22 )।</span> सिद्धि विनिश्चय/ वृ./7/22/492/20 <span class="SanskritText">स्वसंवेदनमेव लक्षणं चित्तस्य। </span>=<span class="HindiText">चित्त का लक्षण स्वसंवेदन ही है।</span> नियमसार / तात्पर्यवृत्ति/116 <span class="SanskritText">बोधो ज्ञानं | सर्वार्थसिद्धि/2/32/187/10 <span class="SanskritText">आत्मनश्चैतन्यविशेषपरिणामश्चित्तम् ।</span>=<span class="HindiText">आत्मा के चैतन्यविशेषरूप परिणाम को चित्त कहते हैं ( राजवार्तिक/2/32/141/22 )।</span> सिद्धि विनिश्चय/ वृ./7/22/492/20 <span class="SanskritText">स्वसंवेदनमेव लक्षणं चित्तस्य। </span>=<span class="HindiText">चित्त का लक्षण स्वसंवेदन ही है।</span> नियमसार / तात्पर्यवृत्ति/116 <span class="SanskritText">बोधो ज्ञानं चित्तमित्यनर्थांतरम् ।</span> =<span class="HindiText">बोध, ज्ञान व चित्त ये भिन्न पदार्थ नहीं हैं। </span> द्रव्यसंग्रह टीका/14/46/10 <span class="SanskritText"> हेयोपादेयविचारकचित्त...।</span> =<span class="HindiText">हेयोपादेय को विचारने वाला चित्त होता है। <br></span>सं.श./टी./5/225/3 <span class="SanskritText">चित्तं च विकल्प:।</span> =<span class="HindiText">विकल्प का नाम चित्त है।</span> <strong class="HindiText">2. भक्ष्याभक्ष्य पदार्थों का सचित्ताचित्त विचार–देखें [[ सचित्त ]]।</strong> | ||
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Revision as of 16:22, 19 August 2020
सर्वार्थसिद्धि/2/32/187/10 आत्मनश्चैतन्यविशेषपरिणामश्चित्तम् ।=आत्मा के चैतन्यविशेषरूप परिणाम को चित्त कहते हैं ( राजवार्तिक/2/32/141/22 )। सिद्धि विनिश्चय/ वृ./7/22/492/20 स्वसंवेदनमेव लक्षणं चित्तस्य। =चित्त का लक्षण स्वसंवेदन ही है। नियमसार / तात्पर्यवृत्ति/116 बोधो ज्ञानं चित्तमित्यनर्थांतरम् । =बोध, ज्ञान व चित्त ये भिन्न पदार्थ नहीं हैं। द्रव्यसंग्रह टीका/14/46/10 हेयोपादेयविचारकचित्त...। =हेयोपादेय को विचारने वाला चित्त होता है।
सं.श./टी./5/225/3 चित्तं च विकल्प:। =विकल्प का नाम चित्त है। 2. भक्ष्याभक्ष्य पदार्थों का सचित्ताचित्त विचार–देखें सचित्त ।