चित्तवेग
From जैनकोष
विजयार्ध-दक्षिणश्रेणी के स्वर्णाभनगर का राजा-एक विद्याधर । इसकी अंगारवती नाम की रानी थी । इन दोनों के मानसवेग नाम का पुत्र और वेगवती नाम की एक पुत्री थी । पुत्र को राज्य देकर इसने मुनि-दीक्षा ले ली थी । हरिवंशपुराण - 24.69-71