दीक्षाकल्याणक: Difference between revisions
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Revision as of 16:24, 19 August 2020
तीर्थंकरों के पाँच कल्याणकों में तीसरा कल्याणक—इसमें तीर्थंकरों को वैराग्य उत्पन्न होते ही सारस्वत आदि लौकांतिक देव आकर उनकी स्तुति करते हैं और अभिषेक करके विविध रूप से उत्सव मनाते हैं । इसके पश्चात् उन्हें पालकी में बैठाकर दीक्षावन ले जाते हैं । महापुराण 59.39-40