अपवर्तन: Difference between revisions
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[[सर्वार्थसिद्धि]] अध्याय संख्या २/५३/२०१ बाह्यस्योपघातनिमित्तस्य विषशस्त्रादेः सति संनिधाने ह्रस्वं भवतीत्यपवर्त्यम्।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[सर्वार्थसिद्धि]] अध्याय संख्या २/५३/२०१ बाह्यस्योपघातनिमित्तस्य विषशस्त्रादेः सति संनिधाने ह्रस्वं भवतीत्यपवर्त्यम्।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= उपघातके निमित्त विष शस्त्रादिक बाह्य निमित्तोंके मिलनेपर जो आयु घट जाती है वह अपवर्त्य आय कहलाती है।</p> | <p class="HindiSentence">= उपघातके निमित्त विष शस्त्रादिक बाह्य निमित्तोंके मिलनेपर जो आयु घट जाती है वह अपवर्त्य आय कहलाती है।</p> | ||
[[कषायपाहुड़]] पुस्तक संख्या १,१८/$३१५/३४७/५ किमोवट्टणं णाम। णवुंसयवेए खविदे सेसणोकसायक्खवणमोवट्टणं णाम।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[कषायपाहुड़]] पुस्तक संख्या १,१८/$३१५/३४७/५ किमोवट्टणं णाम। णवुंसयवेए खविदे सेसणोकसायक्खवणमोवट्टणं णाम।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= प्रश्न-अपवर्तना किसे कहते हैं। उत्तर-नपुंसकवेदका क्षपण हो जानेपर शेष नोकषायोंके क्षपण होनेको यहाँ अपवर्तना कहा है।</p> | <p class="HindiSentence">= प्रश्न-अपवर्तना किसे कहते हैं। उत्तर-नपुंसकवेदका क्षपण हो जानेपर शेष नोकषायोंके क्षपण होनेको यहाँ अपवर्तना कहा है।</p> | ||
[[गोम्मट्टसार कर्मकाण्ड]] / [[गोम्मट्टसार कर्मकाण्ड जीव तत्त्व प्रदीपिका| जीव तत्त्व प्रदीपिका ]] टीका गाथा संख्या ६४३/८३७/१६ आयुर्बन्धं कुर्वतां जीवानां परिणामवशेन बध्यामानस्यायुषोऽपवर्तनमपि भवति तदेवापवर्तनघात इत्युच्यते, उदीयमानायुरपवर्तनस्यैव कदलीघाताभिधानात्।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[गोम्मट्टसार कर्मकाण्ड]] / [[गोम्मट्टसार कर्मकाण्ड जीव तत्त्व प्रदीपिका| जीव तत्त्व प्रदीपिका ]] टीका गाथा संख्या ६४३/८३७/१६ आयुर्बन्धं कुर्वतां जीवानां परिणामवशेन बध्यामानस्यायुषोऽपवर्तनमपि भवति तदेवापवर्तनघात इत्युच्यते, उदीयमानायुरपवर्तनस्यैव कदलीघाताभिधानात्।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= आयुके बन्धको करते जीव तिनिकै परिणामनिके वशतै बध्यमान आयुका अपवर्तन भी होता है। अपवर्तन नाम घटनेका है, सो याकौ अपवर्तनघात कहिए, जातैं उदय आई (भुज्यमान) आयुकै अपवर्तनका नाम कदलीघात है। (अर्थात् भुज्यमान आयुके घटनेका नाम कदलीघात और बध्यमान आयुके घटनेका नाम अपवर्तनघात है।)</p> | <p class="HindiSentence">= आयुके बन्धको करते जीव तिनिकै परिणामनिके वशतै बध्यमान आयुका अपवर्तन भी होता है। अपवर्तन नाम घटनेका है, सो याकौ अपवर्तनघात कहिए, जातैं उदय आई (भुज्यमान) आयुकै अपवर्तनका नाम कदलीघात है। (अर्थात् भुज्यमान आयुके घटनेका नाम कदलीघात और बध्यमान आयुके घटनेका नाम अपवर्तनघात है।)</p> | ||
<OL start=2 class="HindiNumberList"> <LI> अनुसमयापवर्तनाका लक्षण </LI> </OL> | <OL start=2 class="HindiNumberList"> <LI> अनुसमयापवर्तनाका लक्षण </LI> </OL> | ||
[[कषायपाहुड़]] पुस्तक संख्या ५/४-२२/$६२७/३९६/१३ का अणुसमओवट्टणा। उदय-उदयावलियासु पविस्समाणट्टिदीणमणुभागस्स उदयावलिबाहिरट्ठिदीणमणुभागस्स य समयं पडि अपंतगुणहीणकमेण घादो।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[कषायपाहुड़]] पुस्तक संख्या ५/४-२२/$६२७/३९६/१३ का अणुसमओवट्टणा। उदय-उदयावलियासु पविस्समाणट्टिदीणमणुभागस्स उदयावलिबाहिरट्ठिदीणमणुभागस्स य समयं पडि अपंतगुणहीणकमेण घादो।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= प्रश्न-प्रतिसमय अपवर्तना किसे कहते हैं। उत्तर-उदय और उदयावलिमें प्रवेश करनेवाली स्थितियोंके अनुभागका तथा उदयावलीसे बाहरकी स्थितियोंके अनुभाग जो प्रति समय अनन्तगुणहीन क्रमसे घात होता है उसे प्रतिसमय अपवर्तना कहते हैं।</p> | <p class="HindiSentence">= प्रश्न-प्रतिसमय अपवर्तना किसे कहते हैं। उत्तर-उदय और उदयावलिमें प्रवेश करनेवाली स्थितियोंके अनुभागका तथा उदयावलीसे बाहरकी स्थितियोंके अनुभाग जो प्रति समय अनन्तगुणहीन क्रमसे घात होता है उसे प्रतिसमय अपवर्तना कहते हैं।</p> | ||
[[धवला]] पुस्तक संख्या १२/४,२,७,४१/१२/३२/२ उक्कीरणकालेण विणा एगसमएणेव पददि सा अणुसमओवट्टणा। अण्णं च, अणुसमओवट्टणाए णियमेण अणंताभागा हम्मंति।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[धवला]] पुस्तक संख्या १२/४,२,७,४१/१२/३२/२ उक्कीरणकालेण विणा एगसमएणेव पददि सा अणुसमओवट्टणा। अण्णं च, अणुसमओवट्टणाए णियमेण अणंताभागा हम्मंति।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= उत्कीरणकालके बिना, एक समय द्वारा जो घात होता है वह अनुसमयापवर्तना है। अथवा अनुसमयापवर्तनामें नियमसे अनन्त बहुभाग नष्ट होता है। (अर्थात् एक समयमें ही अनन्तों काण्डकोंका युगपत् घात करना अनुसमयापवर्तना है।)</p> | <p class="HindiSentence">= उत्कीरणकालके बिना, एक समय द्वारा जो घात होता है वह अनुसमयापवर्तना है। अथवा अनुसमयापवर्तनामें नियमसे अनन्त बहुभाग नष्ट होता है। (अर्थात् एक समयमें ही अनन्तों काण्डकोंका युगपत् घात करना अनुसमयापवर्तना है।)</p> | ||
<UL start=0 class="BulletedList"> <LI> अनुसमयापवर्तना व काण्डकघातमें अन्तर-<b>देखे </b>[[अपकर्षण]] ४/६। </LI> | <UL start=0 class="BulletedList"> <LI> अनुसमयापवर्तना व काण्डकघातमें अन्तर-<b>देखे </b>[[अपकर्षण]] ४/६। </LI> |
Revision as of 20:32, 24 May 2009
- अपवर्तनाघात सामान्यका लक्षण
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या २/५३/२०१ बाह्यस्योपघातनिमित्तस्य विषशस्त्रादेः सति संनिधाने ह्रस्वं भवतीत्यपवर्त्यम्।
= उपघातके निमित्त विष शस्त्रादिक बाह्य निमित्तोंके मिलनेपर जो आयु घट जाती है वह अपवर्त्य आय कहलाती है।
कषायपाहुड़ पुस्तक संख्या १,१८/$३१५/३४७/५ किमोवट्टणं णाम। णवुंसयवेए खविदे सेसणोकसायक्खवणमोवट्टणं णाम।
= प्रश्न-अपवर्तना किसे कहते हैं। उत्तर-नपुंसकवेदका क्षपण हो जानेपर शेष नोकषायोंके क्षपण होनेको यहाँ अपवर्तना कहा है।
गोम्मट्टसार कर्मकाण्ड / जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा संख्या ६४३/८३७/१६ आयुर्बन्धं कुर्वतां जीवानां परिणामवशेन बध्यामानस्यायुषोऽपवर्तनमपि भवति तदेवापवर्तनघात इत्युच्यते, उदीयमानायुरपवर्तनस्यैव कदलीघाताभिधानात्।
= आयुके बन्धको करते जीव तिनिकै परिणामनिके वशतै बध्यमान आयुका अपवर्तन भी होता है। अपवर्तन नाम घटनेका है, सो याकौ अपवर्तनघात कहिए, जातैं उदय आई (भुज्यमान) आयुकै अपवर्तनका नाम कदलीघात है। (अर्थात् भुज्यमान आयुके घटनेका नाम कदलीघात और बध्यमान आयुके घटनेका नाम अपवर्तनघात है।)
- अनुसमयापवर्तनाका लक्षण
कषायपाहुड़ पुस्तक संख्या ५/४-२२/$६२७/३९६/१३ का अणुसमओवट्टणा। उदय-उदयावलियासु पविस्समाणट्टिदीणमणुभागस्स उदयावलिबाहिरट्ठिदीणमणुभागस्स य समयं पडि अपंतगुणहीणकमेण घादो।
= प्रश्न-प्रतिसमय अपवर्तना किसे कहते हैं। उत्तर-उदय और उदयावलिमें प्रवेश करनेवाली स्थितियोंके अनुभागका तथा उदयावलीसे बाहरकी स्थितियोंके अनुभाग जो प्रति समय अनन्तगुणहीन क्रमसे घात होता है उसे प्रतिसमय अपवर्तना कहते हैं।
धवला पुस्तक संख्या १२/४,२,७,४१/१२/३२/२ उक्कीरणकालेण विणा एगसमएणेव पददि सा अणुसमओवट्टणा। अण्णं च, अणुसमओवट्टणाए णियमेण अणंताभागा हम्मंति।
= उत्कीरणकालके बिना, एक समय द्वारा जो घात होता है वह अनुसमयापवर्तना है। अथवा अनुसमयापवर्तनामें नियमसे अनन्त बहुभाग नष्ट होता है। (अर्थात् एक समयमें ही अनन्तों काण्डकोंका युगपत् घात करना अनुसमयापवर्तना है।)
- अनुसमयापवर्तना व काण्डकघातमें अन्तर-देखे अपकर्षण ४/६।
- आयुके अपवर्तन सम्बन्धी-देखे आयु ५।
- अकाल मृत्यु वश आयुका अपवर्तन-देखे मरण ४।
- अपवर्तनोद्वर्तन-देखे अश्वकर्ण करण ।
- गणितके सम्बन्धमें अपवर्तन
अमान मूल्योंमें बदलना जैसे १८/७२=१/४-देखे गणित II/१/१०।