देवगुरु: Difference between revisions
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Revision as of 16:25, 19 August 2020
एक चारण ऋद्धिधारी मुनि । इनसे अमिततेज और श्रीविजय ने धर्मोपदेश सुना था । इन्होंने ही एक वानर को अंतिम समय में एक नमस्कार मंत्र सुनाया था जिसे सुनकर वानर मरकर सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नाम का देव हुआ था । महापुराण 62. 403, 70.135-138