अविनाभाव: Difference between revisions
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[[परीक्षामुख]] परिच्छेद संख्या ३/१६ सहक्रमभावनियमोऽविनाभावः ।।१६।।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[परीक्षामुख]] परिच्छेद संख्या ३/१६ सहक्रमभावनियमोऽविनाभावः ।।१६।।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= सहभाव नियम तथा क्रमभाव नियमको अविनाभाव कहते हैं।</p> | <p class="HindiSentence">= सहभाव नियम तथा क्रमभाव नियमको अविनाभाव कहते हैं।</p> | ||
([[न्यायदीपिका]] अधिकार ३/$४९/९३/५)<br> | ([[न्यायदीपिका]] अधिकार ३/$४९/९३/५)<br> | ||
[[पंचाध्यायी]] / श्लोक संख्या ५/४९१ अवि नाभावोऽपि यथा येन बिना जायते न तत्सिद्धिः।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[पंचाध्यायी]] / श्लोक संख्या ५/४९१ अवि नाभावोऽपि यथा येन बिना जायते न तत्सिद्धिः।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= जिसके बिना जिसकी सिद्धि न होय उसको अविनाभावी सम्बन्ध कहते हैं।</p> | <p class="HindiSentence">= जिसके बिना जिसकी सिद्धि न होय उसको अविनाभावी सम्बन्ध कहते हैं।</p> | ||
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[[परीक्षामुख]] परिच्छेद संख्या ३/१६ सहक्रमभावनियमोऽविनाभावः। < | <p class="SanskritPrakritSentence">[[परीक्षामुख]] परिच्छेद संख्या ३/१६ सहक्रमभावनियमोऽविनाभावः। </p> | ||
<p class="HindiSentence">= अविनाभाव सम्बन्ध दो प्रकारका है- एक सहभाव, दूसरा क्रमभाव।</p> | <p class="HindiSentence">= अविनाभाव सम्बन्ध दो प्रकारका है- एक सहभाव, दूसरा क्रमभाव।</p> | ||
<OL start=3 class="HindiNumberList"> <LI> सहभाव व क्रमभाव अविनानाभावके लक्षण </LI> </OL> | <OL start=3 class="HindiNumberList"> <LI> सहभाव व क्रमभाव अविनानाभावके लक्षण </LI> </OL> | ||
[[परीक्षामुख]] परिच्छेद संख्या ३/१७-१८ सहचारीणोर्व्याप्यव्यापकभावयोश्व सहभावः ।।१७।। पूर्वोत्तरचारणोः कार्यकारणयोश्च कर्मभावः ।।१८।।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[परीक्षामुख]] परिच्छेद संख्या ३/१७-१८ सहचारीणोर्व्याप्यव्यापकभावयोश्व सहभावः ।।१७।। पूर्वोत्तरचारणोः कार्यकारणयोश्च कर्मभावः ।।१८।।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= साथ रहनेवालेमें तथा व्याप्य और व्यापक पदार्थोंमें सहभाव नियम नामका अविनाभाव होता है। जैसे द्रव्य व गुणमें ।।१७।। पूर्वचर व उत्तरचरोंमें तथा कार्यकारणोंमें क्रमभावी निय होता है। जैसे-मेघ व वर्षामें ।।१८।।</p> | <p class="HindiSentence">= साथ रहनेवालेमें तथा व्याप्य और व्यापक पदार्थोंमें सहभाव नियम नामका अविनाभाव होता है। जैसे द्रव्य व गुणमें ।।१७।। पूर्वचर व उत्तरचरोंमें तथा कार्यकारणोंमें क्रमभावी निय होता है। जैसे-मेघ व वर्षामें ।।१८।।</p> | ||
<OL start=4 class="HindiNumberList"> <LI> अविनाभावका निर्णय तर्क द्वारा होता है </LI> </OL> | <OL start=4 class="HindiNumberList"> <LI> अविनाभावका निर्णय तर्क द्वारा होता है </LI> </OL> | ||
[[परीक्षामुख]] परिच्छेद संख्या ३/१९ तर्कात्तन्निर्णयः ।।१९।।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[परीक्षामुख]] परिच्छेद संख्या ३/१९ तर्कात्तन्निर्णयः ।।१९।।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= तर्कसे इसका निर्णय होता है।</p> | <p class="HindiSentence">= तर्कसे इसका निर्णय होता है।</p> | ||
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Revision as of 00:42, 25 May 2009
परीक्षामुख परिच्छेद संख्या ३/१६ सहक्रमभावनियमोऽविनाभावः ।।१६।।
= सहभाव नियम तथा क्रमभाव नियमको अविनाभाव कहते हैं।
(न्यायदीपिका अधिकार ३/$४९/९३/५)
पंचाध्यायी / श्लोक संख्या ५/४९१ अवि नाभावोऽपि यथा येन बिना जायते न तत्सिद्धिः।
= जिसके बिना जिसकी सिद्धि न होय उसको अविनाभावी सम्बन्ध कहते हैं।
- अविनाभावके भेद
परीक्षामुख परिच्छेद संख्या ३/१६ सहक्रमभावनियमोऽविनाभावः।
= अविनाभाव सम्बन्ध दो प्रकारका है- एक सहभाव, दूसरा क्रमभाव।
- सहभाव व क्रमभाव अविनानाभावके लक्षण
परीक्षामुख परिच्छेद संख्या ३/१७-१८ सहचारीणोर्व्याप्यव्यापकभावयोश्व सहभावः ।।१७।। पूर्वोत्तरचारणोः कार्यकारणयोश्च कर्मभावः ।।१८।।
= साथ रहनेवालेमें तथा व्याप्य और व्यापक पदार्थोंमें सहभाव नियम नामका अविनाभाव होता है। जैसे द्रव्य व गुणमें ।।१७।। पूर्वचर व उत्तरचरोंमें तथा कार्यकारणोंमें क्रमभावी निय होता है। जैसे-मेघ व वर्षामें ।।१८।।
- अविनाभावका निर्णय तर्क द्वारा होता है
परीक्षामुख परिच्छेद संख्या ३/१९ तर्कात्तन्निर्णयः ।।१९।।
= तर्कसे इसका निर्णय होता है।