मत्स्य: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) भरतक्षेत्र के मध्य | <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र के मध्य आर्यखंड का एक देश-महावीर की विहारभूमि । तीर्थंकर नेमि भी विहार करते हुए यहाँ आये थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3. 4, 11.65, 59.110 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक नृप । यह रोहिणी के स्वयंवर में सम्मिलित हुआ था । 31.28</p> | <p id="2">(2) एक नृप । यह रोहिणी के स्वयंवर में सम्मिलित हुआ था । 31.28</p> | ||
<p id="3">(3) कल्पपुर नगर के हरिवंशी राजा महीदत्त का कनिष्ठ पुत्र और अरिष्टनेमि का अनुज । इसने अपनी चतुरंग सेना से भद्रपुर और हस्तिनापुर को जीता था इस विजय के पश्चात् हस्तिनापुर को इसने निवास स्थान के रूप में चुना था । इसके अयोधन आदि सौ पुत्र हुए थे । अंत में यह ज्येष्ठ पुत्र को राज्य सौंपकर दीक्षित हो गया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.29-31 </span></p> | <p id="3">(3) कल्पपुर नगर के हरिवंशी राजा महीदत्त का कनिष्ठ पुत्र और अरिष्टनेमि का अनुज । इसने अपनी चतुरंग सेना से भद्रपुर और हस्तिनापुर को जीता था इस विजय के पश्चात् हस्तिनापुर को इसने निवास स्थान के रूप में चुना था । इसके अयोधन आदि सौ पुत्र हुए थे । अंत में यह ज्येष्ठ पुत्र को राज्य सौंपकर दीक्षित हो गया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.29-31 </span></p> | ||
<p id="4">(4) | <p id="4">(4) मंदिर ग्राम का एक धीवर । सा की इसकी पत्नी तथा पूति का पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.326 </span></p> | ||
<p id="5">(5) जल- | <p id="5">(5) जल-जंतु-मछली । ये जल में ही रहती है । ये मरकर सातवीं नरकभूमि तक जाती है । चरणतल में इनकी रेखांकित रचना शुभ मानी गयी है । <span class="GRef"> महापुराण 3.162, 4.117, 10.30, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 26.84 </span></p> | ||
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Revision as of 16:30, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == भरतक्षेत्र में मध्य आर्यखंड का एक देश–देखें मनुष्य - 4।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र के मध्य आर्यखंड का एक देश-महावीर की विहारभूमि । तीर्थंकर नेमि भी विहार करते हुए यहाँ आये थे । हरिवंशपुराण 3. 4, 11.65, 59.110
(2) एक नृप । यह रोहिणी के स्वयंवर में सम्मिलित हुआ था । 31.28
(3) कल्पपुर नगर के हरिवंशी राजा महीदत्त का कनिष्ठ पुत्र और अरिष्टनेमि का अनुज । इसने अपनी चतुरंग सेना से भद्रपुर और हस्तिनापुर को जीता था इस विजय के पश्चात् हस्तिनापुर को इसने निवास स्थान के रूप में चुना था । इसके अयोधन आदि सौ पुत्र हुए थे । अंत में यह ज्येष्ठ पुत्र को राज्य सौंपकर दीक्षित हो गया था । हरिवंशपुराण 17.29-31
(4) मंदिर ग्राम का एक धीवर । सा की इसकी पत्नी तथा पूति का पुत्री थी । महापुराण 71.326
(5) जल-जंतु-मछली । ये जल में ही रहती है । ये मरकर सातवीं नरकभूमि तक जाती है । चरणतल में इनकी रेखांकित रचना शुभ मानी गयी है । महापुराण 3.162, 4.117, 10.30, पद्मपुराण 26.84