वैजयंती: Difference between revisions
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<p id="4">(4) एक शिविका-पालकी । तीर्थंकर अरनाथ इसी में बैठकर वन (सहेतुक वन) गये थे । <span class="GRef"> महापुराण 65.33, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 7.26 </span></p> | |||
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<p id="6">(6) भरतक्षेत्र में चक्रपुर-नगर के राजा वरसेन की रानी । यह सातवें बलभद्र-नंदिषेण की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 65. 173-177, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20.238-239 </span></p> | |||
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<p id="8">(8) रूचकगिरि के कांचनकूट पर रहने वाली दिक्कुमारीदेवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.705 </span></p> | |||
<p id="9">(9) रूचकगिरि के रत्नप्रभकूट पर रहने वाली एक देवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.725 </span></p> | |||
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Revision as of 16:37, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- अपर विदेह के सुप्रभ क्षेत्र की प्रधान नगरी।–देखें लोक - 5.2।
- नंदीश्वर द्वीप की पश्चिम दिशा में स्थित एक वापी–देखें लोक - 5.11।
- रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी देवी व महत्तरिका–देखें लोक - 5.13।
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिण श्रेणी की तैतीसवीं नगरी । यहाँ का राजा बलसिंह था । महापुराण 19.50, हरिवंशपुराण 30.33
(2) समवसरण के सप्तपर्ण वन की छ: वापियों में एक वापी । हरिवंशपुराण 57. 33
(3) पश्चिमविदेहक्षेत्र में सुवप्रा देश की राजधानी । हरिवंशपुराण 5. 251, 263
(4) एक शिविका-पालकी । तीर्थंकर अरनाथ इसी में बैठकर वन (सहेतुक वन) गये थे । महापुराण 65.33, पांडवपुराण 7.26
(5) राम का एक सभा-भवन । पद्मपुराण 83.5
(6) भरतक्षेत्र में चक्रपुर-नगर के राजा वरसेन की रानी । यह सातवें बलभद्र-नंदिषेण की जननी थी । महापुराण 65. 173-177, पद्मपुराण 20.238-239
(7) नंदीश्वर-द्वीप की दक्षिण-दिशा के अन्जनगिरि की दक्षिण-दिशा में स्थित वापी । हरिवंशपुराण 5.660
(8) रूचकगिरि के कांचनकूट पर रहने वाली दिक्कुमारीदेवी । हरिवंशपुराण 5.705
(9) रूचकगिरि के रत्नप्रभकूट पर रहने वाली एक देवी । हरिवंशपुराण 5.725