षोडशकारण भावना व्रत: Difference between revisions
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<span class="HindiText">16 वर्ष तक, वा 5 वर्ष तक, अथवा जघन्य एक वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्र, इन तीनों महीनों में कृ.1 से लेकर अगले महीने की कृ.1 तक 32 दिन तक क्रमश: 32 उपवास, वा 16 उपवास, 16 पारणा, अथवा जघन्य विधि से 32 एकाशना करे।</span> | <span class="HindiText">16 वर्ष तक, वा 5 वर्ष तक, अथवा जघन्य एक वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्र, इन तीनों महीनों में कृ.1 से लेकर अगले महीने की कृ.1 तक 32 दिन तक क्रमश: 32 उपवास, वा 16 उपवास, 16 पारणा, अथवा जघन्य विधि से 32 एकाशना करे।</span> | ||
<p><span class="HindiText">जाप्य - '</span><span class="SanskritText">ओं ह्रीं दर्शनविशुद्धयादिषोडशकारणेभ्यो नम:।</span><span class="HindiText">' इस | <p><span class="HindiText">जाप्य - '</span><span class="SanskritText">ओं ह्रीं दर्शनविशुद्धयादिषोडशकारणेभ्यो नम:।</span><span class="HindiText">' इस मंत्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं./पृ.38)।</span></p> | ||
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Revision as of 16:38, 19 August 2020
16 वर्ष तक, वा 5 वर्ष तक, अथवा जघन्य एक वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्र, इन तीनों महीनों में कृ.1 से लेकर अगले महीने की कृ.1 तक 32 दिन तक क्रमश: 32 उपवास, वा 16 उपवास, 16 पारणा, अथवा जघन्य विधि से 32 एकाशना करे।
जाप्य - 'ओं ह्रीं दर्शनविशुद्धयादिषोडशकारणेभ्यो नम:।' इस मंत्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं./पृ.38)।