सौमनस: Difference between revisions
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<li>सौमनस | <li>सौमनस गजदंत का एक कूट व उसका स्वामी देव-देखें [[ लोक#5.4 | लोक - 5.4]]। </li> | ||
<li>सुमेरु पर्वत का तृतीय वन, इसमें चार चैत्यालय हैं।-देखें [[ लोक#3.6 | लोक - 3.6]]; | <li>सुमेरु पर्वत का तृतीय वन, इसमें चार चैत्यालय हैं।-देखें [[ लोक#3.6 | लोक - 3.6]]; | ||
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<li>रुचक पर्वतस्थ एक कूट-देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]; </li> | <li>रुचक पर्वतस्थ एक कूट-देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]; </li> | ||
<li>नव ग्रैवेयक का आठवाँ पटल व | <li>नव ग्रैवेयक का आठवाँ पटल व इंद्रक-देखें [[ स्वर्ग#5.3 | स्वर्ग - 5.3]]।</li> | ||
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<p id="1"> (1) रुचकगिरि की पश्चिम दिशा का छठा कूट । यहाँ दिक्कुमारी नवमिका देवी रहती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.713 </span></p> | <p id="1"> (1) रुचकगिरि की पश्चिम दिशा का छठा कूट । यहाँ दिक्कुमारी नवमिका देवी रहती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.713 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सोमनस्य पर्वत का दूसरा कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.212, 221 </span></p> | <p id="2">(2) सोमनस्य पर्वत का दूसरा कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.212, 221 </span></p> | ||
<p id="3">(3) सुमेरु पर्वत का तीसरा वन । यह | <p id="3">(3) सुमेरु पर्वत का तीसरा वन । यह नंदनवन के समान है तथा नंदनवन से साढ़े बासठ हजार योजन ऊपर स्थित है । <span class="GRef"> महापुराण 5.183, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 6.135, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.295, 308, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 8.113-114 </span></p> | ||
<p id="4">(4) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी का साठवाँ नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.92 </span></p> | <p id="4">(4) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी का साठवाँ नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.92 </span></p> | ||
<p id="5">(5) भरतक्षेत्र के | <p id="5">(5) भरतक्षेत्र के आर्यखंड का एक नगर । यहाँ तीर्थंकर सुमतिनाथ की प्रथम पारणा हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 51.72 </span></p> | ||
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Revision as of 16:39, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- विदेह क्षेत्रस्थ एक गजदंत पर्वत-देखें लोक - 5.3;
- विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर-देखें विद्याधर ;
- सौमनस गजदंत का एक कूट व उसका स्वामी देव-देखें लोक - 5.4।
- सुमेरु पर्वत का तृतीय वन, इसमें चार चैत्यालय हैं।-देखें लोक - 3.6;
- रुचक पर्वतस्थ एक कूट-देखें लोक - 5.13;
- नव ग्रैवेयक का आठवाँ पटल व इंद्रक-देखें स्वर्ग - 5.3।
पुराणकोष से
(1) रुचकगिरि की पश्चिम दिशा का छठा कूट । यहाँ दिक्कुमारी नवमिका देवी रहती है । हरिवंशपुराण 5.713
(2) सोमनस्य पर्वत का दूसरा कूट । हरिवंशपुराण 5.212, 221
(3) सुमेरु पर्वत का तीसरा वन । यह नंदनवन के समान है तथा नंदनवन से साढ़े बासठ हजार योजन ऊपर स्थित है । महापुराण 5.183, पद्मपुराण 6.135, हरिवंशपुराण 5.295, 308, वीरवर्द्धमान चरित्र 8.113-114
(4) भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी का साठवाँ नगर । हरिवंशपुराण 22.92
(5) भरतक्षेत्र के आर्यखंड का एक नगर । यहाँ तीर्थंकर सुमतिनाथ की प्रथम पारणा हुई थी । महापुराण 51.72
(6) विदेहक्षेत्र में विद्यमान एक गजदंत पर्वत । महापुराण 63.205