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<li id="2.2">[[संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम#2.2 | क्षेत्र की अपेक्षा गणना करने का तात्पर्य।]]</li> | <li id="2.2">[[संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम#2.2 | क्षेत्र की अपेक्षा गणना करने का तात्पर्य।]]</li> | ||
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<li id="2.4">[[संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम#2.4 | उपशम व क्षपक श्रेणी का संख्या | <li id="2.4">[[संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम#2.4 | उपशम व क्षपक श्रेणी का संख्या संबंधी नियम।]]</li> | ||
<li id="2.5">[[संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम#2.5 | सिद्धों का संख्या | <li id="2.5">[[संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम#2.5 | सिद्धों का संख्या संबंधी नियम।]]</li> | ||
<li id="2.6">[[संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम#2.6 | संयतासंयत जीव असंख्यात कैसे हो सकते हैं।]]</li> | <li id="2.6">[[संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम#2.6 | संयतासंयत जीव असंख्यात कैसे हो सकते हैं।]]</li> | ||
<li id="2.7">[[संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम#2.7 | सम्यग्दृष्टि दो तीन ही हैं ऐसे कहने का तात्पय।]]</li> | <li id="2.7">[[संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम#2.7 | सम्यग्दृष्टि दो तीन ही हैं ऐसे कहने का तात्पय।]]</li> | ||
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<ul><li>सभी मार्गणा व गुणस्थानों में आय के अनुसार व्यय होने का नियम। - देखें [[ मार्गणा ]]।</li></ul> | <ul><li>सभी मार्गणा व गुणस्थानों में आय के अनुसार व्यय होने का नियम। - देखें [[ मार्गणा ]]।</li></ul> | ||
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<li>ज्योतिष | <li>ज्योतिष मंडल की संख्या। - देखें [[ ज्योतिष#2 | ज्योतिष - 2]]।</li> | ||
<li>तीर्थंकरों के तीर्थ में केवलियों आदि की संख्या। - देखें [[ तीर्थंकर#5 | तीर्थंकर - 5]]।</li> | <li>तीर्थंकरों के तीर्थ में केवलियों आदि की संख्या। - देखें [[ तीर्थंकर#5 | तीर्थंकर - 5]]।</li> | ||
<li>द्रव्यों की संख्या। - देखें [[ द्रव्य#2 | द्रव्य - 2]]।</li> | <li>द्रव्यों की संख्या। - देखें [[ द्रव्य#2 | द्रव्य - 2]]।</li> | ||
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<li id="3.8">[[संख्या विषयक प्ररूपणाएँ#3.8 | कर्म | <li id="3.8">[[संख्या विषयक प्ररूपणाएँ#3.8 | कर्म बंधकों की अपेक्षा संख्या व भागाभाग सूची।]]</li> | ||
<li id="3.9">[[संख्या विषयक प्ररूपणाएँ#3.9 | मोहनीय कर्म सत्त्व की अपेक्षा संख्या व भागाभाग सूची।]]</li> | <li id="3.9">[[संख्या विषयक प्ररूपणाएँ#3.9 | मोहनीय कर्म सत्त्व की अपेक्षा संख्या व भागाभाग सूची।]]</li> | ||
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Revision as of 16:39, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
लोक में जीव किस-किस गुणस्थान व मार्गणा स्थान आदि में कितने-कितने हैं इस बात का निरूपण इस अधिकार में किया गया है। तहाँ अल्प संख्याओं का प्रतिपादन तो सरल है पर असंख्यात व अनंत का प्रतिपादन क्षेत्र के प्रदेशों व काल के समयों के आश्रय पर किया जाता है।
- संख्या सामान्य निर्देश
- अक्षसंचार के निमित्त शब्दों का परिचय - देखें गणित - II.3।
- संख्यात असंख्यात व अनंत में अंतर। - देखें अनंत - 2।
- संख्यात, असंख्यात व अनंत - देखें वह वह नाम ।
- संख्या प्ररूपणा विषयक कुछ नियम
- काल की अपेक्षा गणना करने का तात्पर्य।
- क्षेत्र की अपेक्षा गणना करने का तात्पर्य।
- संयम मार्गणा में संख्या संबंधी नियम।
- उपशम व क्षपक श्रेणी का संख्या संबंधी नियम।
- सिद्धों का संख्या संबंधी नियम।
- संयतासंयत जीव असंख्यात कैसे हो सकते हैं।
- सम्यग्दृष्टि दो तीन ही हैं ऐसे कहने का तात्पय।
- लोभ कषाय क्षपकों से सूक्ष्म सांपराय की संख्या अधिक क्यों।
- वर्गणाओं का संख्या संबंधी दृष्टि भेद।
- जीवों के प्रमाण संबंधी दृष्टिभेद।
- सभी मार्गणा व गुणस्थानों में आय के अनुसार व्यय होने का नियम। - देखें मार्गणा ।
- संख्या विषयक प्ररूपणाएँ
- सारणी में प्रयुक्त संकेत सूची।
- जीवों की संख्या विषयक ओघ प्ररूपणा
- जीवों की संख्या विषयक सामान्य विशेष प्ररूपणा।
- जीवों की स्वस्थान भागाभाग रूप आदेश प्ररूपणा।
- चारों गतियों की अपेक्षा स्व पर स्थान भागाभाग।
- एक समय में विवक्षित स्थान में प्रवेश व निर्गमन करने वाले जीवों का प्रमाण।
- इंद्रों की संख्या। - देखें इंद्र ।
- द्वीप समुद्रों की संख्या। - देखें लोक - 2.11।
- ज्योतिष मंडल की संख्या। - देखें ज्योतिष - 2।
- तीर्थंकरों के तीर्थ में केवलियों आदि की संख्या। - देखें तीर्थंकर - 5।
- द्रव्यों की संख्या। - देखें द्रव्य - 2।
- द्रव्यों के प्रदेशों की संख्या। - देखें वह वह द्रव्य ।
- जीवों आदि की संख्या में परस्पर अल्पबहुत्व। - देखें अल्पबहुत्व ।
पुराणकोष से
जीवादि पदार्थों के भेदों की गणना । यह आठ अनुयोग द्वारों में दूसरा अनुयोग द्वार है । हरिवंशपुराण 2.108