निर्वहण: Difference between revisions
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भगवती आराधना / विजयोदया टीका/2/14/20 <span class="SanskritText">निराकुलं वहनं धारणं निर्वहणं, परीषहाद्युपनिपातेऽप्याकुलतामंतरेण दर्शनादिपरिणतौ वृत्ति:।</span> =<span class="HindiText">सम्यग्दर्शनादि गुणों को निराकुलता से धारण करना, अर्थात् परीषहादिक प्राप्त हो जाने पर भी व्याकुल चित्त न होकर सम्यग्दर्शन आदि रत्नत्रयरूप परिणति में तत्पर रहना, उससे च्युत न होना, यह निर्वहण शब्द का अर्थ है। ( अनगारधर्मामृत/1/96/104 ) </span> | <span class="GRef"> भगवती आराधना / विजयोदया टीका/2/14/20 </span><span class="SanskritText">निराकुलं वहनं धारणं निर्वहणं, परीषहाद्युपनिपातेऽप्याकुलतामंतरेण दर्शनादिपरिणतौ वृत्ति:।</span> =<span class="HindiText">सम्यग्दर्शनादि गुणों को निराकुलता से धारण करना, अर्थात् परीषहादिक प्राप्त हो जाने पर भी व्याकुल चित्त न होकर सम्यग्दर्शन आदि रत्नत्रयरूप परिणति में तत्पर रहना, उससे च्युत न होना, यह निर्वहण शब्द का अर्थ है। (<span class="GRef"> अनगारधर्मामृत/1/96/104 </span>) </span> | ||
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Revision as of 13:00, 14 October 2020
भगवती आराधना / विजयोदया टीका/2/14/20 निराकुलं वहनं धारणं निर्वहणं, परीषहाद्युपनिपातेऽप्याकुलतामंतरेण दर्शनादिपरिणतौ वृत्ति:। =सम्यग्दर्शनादि गुणों को निराकुलता से धारण करना, अर्थात् परीषहादिक प्राप्त हो जाने पर भी व्याकुल चित्त न होकर सम्यग्दर्शन आदि रत्नत्रयरूप परिणति में तत्पर रहना, उससे च्युत न होना, यह निर्वहण शब्द का अर्थ है। ( अनगारधर्मामृत/1/96/104 )