भजन बिन यौं ही जनम गमायो: Difference between revisions
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Latest revision as of 02:38, 16 February 2008
(राग सारंग पूरबी)
भजन बिन यौं ही जनम गमायो ।।भजन. ।।टेक ।।
पानी पहिल्यां पाल न बांधी, फिर पीछैं पछतायो ।।१ ।।भजन. ।।
रामा-मोह भये दिन खोवत, आशा पाश बंधायो ।
जप तप संजम दान न दीनौं, मानुष जनम हरायो ।।२ ।।भजन. ।।
देह शीश जब कांपन लागी, दसन चला चल थायो ।
लागी आगि भुजावन कारन, चाहत कूप खुदायो ।।३ ।।भजन. ।।
काल अनादि गुमायो भ्रमतां, कबहुँ न थिर चित ल्यायो ।
हरी विषय सुख भरम भुलानो, मृग तिसना-वश धायो ।।४ ।।भजन. ।।