अरे हाँ रे तैं तो सुधरी बहुत बिगारी: Difference between revisions
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(राग गौड़ी ताल)
अरे हाँ रे तैं तो सुधरी बहुत बिगारी ।।अरे. ।।टेक ।।
ये गति मुक्ति महलकी पौरी, पाय रहत क्यौं पिछारी ।।१ ।।अरे. ।।
परकौं जानि मानि अपनो पद, तजि ममता दुखकारी ।
श्रावक कुल भवदधि तट आयो, बूड़त क्यौंरे अनारी ।।२ ।।अरे. ।।
अबहूँ चेत गयो कुछ नाहीं, राखि आपनी बारी ।
शक्ति समान त्याग तप करिये, तब बुधजन सिरदारी ।।३ ।।अरे. ।।