मैंने देखा आतमराम: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: '''(राग काफी कनड़ी)''' <br> मैंने देखा आतमरामा ।।मैंने. ।।टेक ।।<br> रूप फरस रस गं...) |
No edit summary |
||
Line 13: | Line 13: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:बुधजनजी]] | [[Category:बुधजनजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 02:40, 16 February 2008
(राग काफी कनड़ी)
मैंने देखा आतमरामा ।।मैंने. ।।टेक ।।
रूप फरस रस गंधतैं न्यारा, दरस-ज्ञान-गुनधामा ।
नित्य निरंजन जाकै नाहीं, क्रोध लोभ मद कामा ।।१ ।।मैंने. ।।
भूख प्यास सुख दुख नहिं जाकै, नाहिं बन पुर गामा ।
नहिं साहिब नहिं चाकर भाई, नहीं तात नहिं मामा ।।२ ।।मैंने. ।।
भूलि अनादि थकी जग भटकत, लै पुद्गल का जामा ।
`बुधजन' संगति जिनगुरुकी तैं, मैं पाया मुझ ठामा ।।३ ।।मैंने. ।।