आर्ययज्ञ: Difference between revisions
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<p> तीर्थंकर, गणधर तथा अन्य केवलियों के शारीरिक दाहसंस्कार के लिए अग्निकुमार इंद्र के मुकुट से उत्पन्न त्रिविघ अग्नियों में मंत्रों के उच्चारण पूर्वक भक्तिसहित पुष्प, गंध, अक्षत तथा फल आदि से आहुति देना आर्षयज्ञ है । <span class="GRef"> महापुराण 67.204-206 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> तीर्थंकर, गणधर तथा अन्य केवलियों के शारीरिक दाहसंस्कार के लिए अग्निकुमार इंद्र के मुकुट से उत्पन्न त्रिविघ अग्नियों में मंत्रों के उच्चारण पूर्वक भक्तिसहित पुष्प, गंध, अक्षत तथा फल आदि से आहुति देना आर्षयज्ञ है । <span class="GRef"> महापुराण 67.204-206 </span></p> | ||
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Revision as of 16:52, 14 November 2020
तीर्थंकर, गणधर तथा अन्य केवलियों के शारीरिक दाहसंस्कार के लिए अग्निकुमार इंद्र के मुकुट से उत्पन्न त्रिविघ अग्नियों में मंत्रों के उच्चारण पूर्वक भक्तिसहित पुष्प, गंध, अक्षत तथा फल आदि से आहुति देना आर्षयज्ञ है । महापुराण 67.204-206