ईषत्प्राग्भार: Difference between revisions
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> ऊर्ध्वलोक की अंतिम भूमि । यह पृथिवी ऊपर की ओर किये हुए धवल छत्र के आकार में है । पुनर्भव से रहित महासुख संपन्न, तथा स्वात्मशक्ति से युक्त सिद्ध परमेष्ठी की यहाँ स्थित है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 105, 173-174, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 6.40 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> ऊर्ध्वलोक की अंतिम भूमि । यह पृथिवी ऊपर की ओर किये हुए धवल छत्र के आकार में है । पुनर्भव से रहित महासुख संपन्न, तथा स्वात्मशक्ति से युक्त सिद्ध परमेष्ठी की यहाँ स्थित है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 105, 173-174, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 6.40 </span></p> | ||
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Revision as of 16:52, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
देखें मोक्ष - 1।
पुराणकोष से
ऊर्ध्वलोक की अंतिम भूमि । यह पृथिवी ऊपर की ओर किये हुए धवल छत्र के आकार में है । पुनर्भव से रहित महासुख संपन्न, तथा स्वात्मशक्ति से युक्त सिद्ध परमेष्ठी की यहाँ स्थित है । पद्मपुराण 105, 173-174, हरिवंशपुराण 6.40