अब घर आये चेतनराय: Difference between revisions
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Latest revision as of 02:51, 16 February 2008
अब घर आये चेतनराय, सजनी खेलौंगी मैं होरी ।।अब. ।।टेक ।।
आरस सोच कानि कुल हारी धरि धीरज बरजोरी ।।१ ।।सजनी. ।।
बुरी कुमति बात न बूझै, चितवत है मोओरी ।
वा गुरुजनक बलि बलि जाऊँ, दूरि करी मति भोरी ।।२ ।।सजनी. ।।
निज सुभाव जल हौज भराऊँ, घोरूँ निजरङ्ग रोरी ।
निज ल्यौं ल्याय शुद्ध पिचकारी, छिरकन निज मति दोरी ।।३ ।।सजनी. ।।
गाय रिझाय आप वश करिकै, जावन द्यौं नहि पोरी ।
बुधजन रचि मचि रहूँ निरंतर, शक्ति अपूरब मोरी ।।४ ।।सजनी. ।।