गुप्त: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) वाराणसी नगरी के राजा अचल और उसकी रानी गिरिदेवी का कनिष्ठ-पुत्र । सुगुप्ति इसका बड़ा भाई था । त्रिगुप्त मुनि की भविष्यवाणी के अनुसार इनका जन्म होने के कारण माता-पिता ने इन दोनों भाइयों के ऐसे नाम रखे थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 41. 107-113 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) वाराणसी नगरी के राजा अचल और उसकी रानी गिरिदेवी का कनिष्ठ-पुत्र । सुगुप्ति इसका बड़ा भाई था । त्रिगुप्त मुनि की भविष्यवाणी के अनुसार इनका जन्म होने के कारण माता-पिता ने इन दोनों भाइयों के ऐसे नाम रखे थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 41. 107-113 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में पचपनवें गणधर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12.64 </span></p> | <p id="2">(2) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में पचपनवें गणधर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12.64 </span></p> | ||
<p id="1">(1) चारण ऋद्धिधारी एक मुनि । सुगुप्ति मुनि के साथ इनको आहार देने से राम और सीता को पंचाश्चर्य प्राप्त हुए थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 41. 13-31 </span></p> | <p id="1">(1) चारण ऋद्धिधारी एक मुनि । सुगुप्ति मुनि के साथ इनको आहार देने से राम और सीता को पंचाश्चर्य प्राप्त हुए थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 41. 13-31 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
(1) वाराणसी नगरी के राजा अचल और उसकी रानी गिरिदेवी का कनिष्ठ-पुत्र । सुगुप्ति इसका बड़ा भाई था । त्रिगुप्त मुनि की भविष्यवाणी के अनुसार इनका जन्म होने के कारण माता-पिता ने इन दोनों भाइयों के ऐसे नाम रखे थे । पद्मपुराण 41. 107-113
(2) वृषभदेव के चौरासी गणधरों में पचपनवें गणधर । हरिवंशपुराण 12.64
(1) चारण ऋद्धिधारी एक मुनि । सुगुप्ति मुनि के साथ इनको आहार देने से राम और सीता को पंचाश्चर्य प्राप्त हुए थे । पद्मपुराण 41. 13-31