गृह: Difference between revisions
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<strong>(</strong><span class="GRef"> धवला 14/5,6,41/39/3 </span>)<span class="PrakritText"> कट्ठियाहि बद्धकुड्डा उवरि वंसिकच्छण्णा गिहा णाम।</span>=<span class="HindiText">जिसकी भींत लकड़ियों से बनायी जाती हैं। और जिसका छप्पर बाँस और तृण से छाया जाता है, वह गृह कहलाता हैं। </span> | <strong>(</strong><span class="GRef"> धवला 14/5,6,41/39/3 </span>)<span class="PrakritText"> कट्ठियाहि बद्धकुड्डा उवरि वंसिकच्छण्णा गिहा णाम।</span>=<span class="HindiText">जिसकी भींत लकड़ियों से बनायी जाती हैं। और जिसका छप्पर बाँस और तृण से छाया जाता है, वह गृह कहलाता हैं। </span> | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> समान के विभिन्न वर्गों के आवास । आदिपुराण में अनेक प्रकार के आवासों का वर्णन आया है । <span class="GRef"> महापुराण 46.245, 397 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> समान के विभिन्न वर्गों के आवास । आदिपुराण में अनेक प्रकार के आवासों का वर्णन आया है । <span class="GRef"> महापुराण 46.245, 397 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
( धवला 14/5,6,41/39/3 ) कट्ठियाहि बद्धकुड्डा उवरि वंसिकच्छण्णा गिहा णाम।=जिसकी भींत लकड़ियों से बनायी जाती हैं। और जिसका छप्पर बाँस और तृण से छाया जाता है, वह गृह कहलाता हैं।
पुराणकोष से
समान के विभिन्न वर्गों के आवास । आदिपुराण में अनेक प्रकार के आवासों का वर्णन आया है । महापुराण 46.245, 397