दिशांजय: Difference between revisions
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<p> गर्भान्वयक्रिया के अंतर्गत गृहस्थ की त्रेपन क्रियाओं में पैंतालीसवीं क्रिया-दिग्विजय । इसमें चक्ररत्न को आगे करके चक्री दिशाओं को जीतने का उद्योग करता है । <span class="GRef"> महापुराण 38.55-63, 234 </span>दिशानंदा― वैदिशपुर के राजा वृषभध्वज तथा रानी दिशावली की पुत्री । पांडव भीम को भिक्षा हेतु राजमहल में आया देखकर वृषभध्वज ने भिक्षा में इससे ही पाणिग्रहण करने के लिए निवेदन किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.108-111 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> गर्भान्वयक्रिया के अंतर्गत गृहस्थ की त्रेपन क्रियाओं में पैंतालीसवीं क्रिया-दिग्विजय । इसमें चक्ररत्न को आगे करके चक्री दिशाओं को जीतने का उद्योग करता है । <span class="GRef"> महापुराण 38.55-63, 234 </span>दिशानंदा― वैदिशपुर के राजा वृषभध्वज तथा रानी दिशावली की पुत्री । पांडव भीम को भिक्षा हेतु राजमहल में आया देखकर वृषभध्वज ने भिक्षा में इससे ही पाणिग्रहण करने के लिए निवेदन किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.108-111 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
गर्भान्वयक्रिया के अंतर्गत गृहस्थ की त्रेपन क्रियाओं में पैंतालीसवीं क्रिया-दिग्विजय । इसमें चक्ररत्न को आगे करके चक्री दिशाओं को जीतने का उद्योग करता है । महापुराण 38.55-63, 234 दिशानंदा― वैदिशपुर के राजा वृषभध्वज तथा रानी दिशावली की पुत्री । पांडव भीम को भिक्षा हेतु राजमहल में आया देखकर वृषभध्वज ने भिक्षा में इससे ही पाणिग्रहण करने के लिए निवेदन किया था । हरिवंशपुराण 45.108-111