दिशांजय
From जैनकोष
गर्भान्वयक्रिया के अंतर्गत गृहस्थ की त्रेपन क्रियाओं में पैंतालीसवीं क्रिया-दिग्विजय । इसमें चक्ररत्न को आगे करके चक्री दिशाओं को जीतने का उद्योग करता है । महापुराण 38.55-63, 234 दिशानंदा― वैदिशपुर के राजा वृषभध्वज तथा रानी दिशावली की पुत्री । पांडव भीम को भिक्षा हेतु राजमहल में आया देखकर वृषभध्वज ने भिक्षा में इससे ही पाणिग्रहण करने के लिए निवेदन किया था । हरिवंशपुराण - 45.108-111