धीर: Difference between revisions
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<p id="2">(2) तीर्थंकर मल्लिनाथ के पूर्वभव का पिता । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.29-30 </span></p> | <p id="2">(2) तीर्थंकर मल्लिनाथ के पूर्वभव का पिता । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.29-30 </span></p> | ||
<p id="3">(3) कृष्ण का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48. 70 </span></p> | <p id="3">(3) कृष्ण का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48. 70 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
नियमसार / तात्पर्यवृत्ति/73 निखिलघोरोपसर्गविजयोपार्जितधीरगुणगंभीरा:।=समस्त घोर उपसर्गों पर विजय प्राप्त करते हैं, इसलिए धीर और गुणगंभीर (वे आचार्य) होते हैं। भावपाहुड़ टीका/43/156/12 ध्येयं प्रति धियं बुद्धिमीरयति प्रेरयतीति धीर इति व्युपदिश्यते।=ध्येयों के प्रति जिनकी बुद्धि गमन करती है या प्रेरणा करती है उन्हें धीर कहते हैं।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.182
(2) तीर्थंकर मल्लिनाथ के पूर्वभव का पिता । पद्मपुराण 20.29-30
(3) कृष्ण का पुत्र । हरिवंशपुराण 48. 70