धीर
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
नियमसार / तात्पर्यवृत्ति/73 निखिलघोरोपसर्गविजयोपार्जितधीरगुणगंभीरा:।=समस्त घोर उपसर्गों पर विजय प्राप्त करते हैं, इसलिए धीर और गुणगंभीर (वे आचार्य) होते हैं। भावपाहुड़ टीका/43/156/12 ध्येयं प्रति धियं बुद्धिमीरयति प्रेरयतीति धीर इति व्युपदिश्यते।=ध्येयों के प्रति जिनकी बुद्धि गमन करती है या प्रेरणा करती है उन्हें धीर कहते हैं।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.182
(2) तीर्थंकर मल्लिनाथ के पूर्वभव का पिता । पद्मपुराण - 20.29-30
(3) कृष्ण का पुत्र । हरिवंशपुराण - 48.70