नरवृषभ: Difference between revisions
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―(<span class="GRef"> महापुराण/61/66-68 </span>) वीतशोकापुरी नगरी का राजा था। दीक्षा पूर्वक मरणकर सहस्रार स्वर्ग में देव हुआ। यह ‘सुदर्शन’ नामक बलभद्र के पूर्व का दूसरा भव है–देखें [[ सुदर्शन ]]। | ―(<span class="GRef"> महापुराण/61/66-68 </span>) वीतशोकापुरी नगरी का राजा था। दीक्षा पूर्वक मरणकर सहस्रार स्वर्ग में देव हुआ। यह ‘सुदर्शन’ नामक बलभद्र के पूर्व का दूसरा भव है–देखें [[ सुदर्शन ]]। | ||
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<p> जंबूद्वीप में मेरु पर्वत के पूर्व की ओर स्थित वीतशोकापुरी का राजा । राजभोगों को भोगकर और उनसे विरक्त होकर इसने दमवर मुनि से दीक्षा ले ली थी । उग्र तपश्चरण करते हुए मरकर यह सहस्रार स्वर्ग में देव हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 61.66-68 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> जंबूद्वीप में मेरु पर्वत के पूर्व की ओर स्थित वीतशोकापुरी का राजा । राजभोगों को भोगकर और उनसे विरक्त होकर इसने दमवर मुनि से दीक्षा ले ली थी । उग्र तपश्चरण करते हुए मरकर यह सहस्रार स्वर्ग में देव हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 61.66-68 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
―( महापुराण/61/66-68 ) वीतशोकापुरी नगरी का राजा था। दीक्षा पूर्वक मरणकर सहस्रार स्वर्ग में देव हुआ। यह ‘सुदर्शन’ नामक बलभद्र के पूर्व का दूसरा भव है–देखें सुदर्शन ।
पुराणकोष से
जंबूद्वीप में मेरु पर्वत के पूर्व की ओर स्थित वीतशोकापुरी का राजा । राजभोगों को भोगकर और उनसे विरक्त होकर इसने दमवर मुनि से दीक्षा ले ली थी । उग्र तपश्चरण करते हुए मरकर यह सहस्रार स्वर्ग में देव हुआ था । महापुराण 61.66-68