नव-पुण्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> दाताओं के नौ पुण्य-(नवधाभक्ति)—1. मुनियों की पड़गाहना 2. उन्हें ऊँचे स्थान पर विराजमान करना 3. उनके चरण धोना 4. उनकी पूजा करना 5. उन्हें नमस्कार करना 6-9 मनशुद्धि, वचनशुद्धि, कायशुद्धि और आहारशुद्धि बोलना । <span class="GRef"> महापुराण 20. 86-87, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.199-200 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> दाताओं के नौ पुण्य-(नवधाभक्ति)—1. मुनियों की पड़गाहना 2. उन्हें ऊँचे स्थान पर विराजमान करना 3. उनके चरण धोना 4. उनकी पूजा करना 5. उन्हें नमस्कार करना 6-9 मनशुद्धि, वचनशुद्धि, कायशुद्धि और आहारशुद्धि बोलना । <span class="GRef"> महापुराण 20. 86-87, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.199-200 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:54, 14 November 2020
दाताओं के नौ पुण्य-(नवधाभक्ति)—1. मुनियों की पड़गाहना 2. उन्हें ऊँचे स्थान पर विराजमान करना 3. उनके चरण धोना 4. उनकी पूजा करना 5. उन्हें नमस्कार करना 6-9 मनशुद्धि, वचनशुद्धि, कायशुद्धि और आहारशुद्धि बोलना । महापुराण 20. 86-87, हरिवंशपुराण 9.199-200