भावन: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र मे सदृतु नगर का एक वणिक् । आलकी इसकी स्त्री और हरिदास पुत्र था । यह चार करोड़ दीनारों का स्वामी था । देशांतर जाते ही इसके पुत्र ने व्यसनों में पड़कर संपत्ति का नाश कर दिया । वह चोरी करने लगा । इसे देशांतर से लौटने पर अपना पुत्र दिखायी न देने से यह उसे खोजने सुरंगमार्ग से गया और इसका पुत्र चोरी करके उसी सुरंगमार्ग से लौटा । इसने अपना बैरी जानकर इसको तलवार से मार डाला था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5. 96-105 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र मे सदृतु नगर का एक वणिक् । आलकी इसकी स्त्री और हरिदास पुत्र था । यह चार करोड़ दीनारों का स्वामी था । देशांतर जाते ही इसके पुत्र ने व्यसनों में पड़कर संपत्ति का नाश कर दिया । वह चोरी करने लगा । इसे देशांतर से लौटने पर अपना पुत्र दिखायी न देने से यह उसे खोजने सुरंगमार्ग से गया और इसका पुत्र चोरी करके उसी सुरंगमार्ग से लौटा । इसने अपना बैरी जानकर इसको तलवार से मार डाला था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5. 96-105 </span></p> | ||
<p id="2">(2) असरकुमार आदि भवनवासी देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3. 135 </span></p> | <p id="2">(2) असरकुमार आदि भवनवासी देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3. 135 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
(1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र मे सदृतु नगर का एक वणिक् । आलकी इसकी स्त्री और हरिदास पुत्र था । यह चार करोड़ दीनारों का स्वामी था । देशांतर जाते ही इसके पुत्र ने व्यसनों में पड़कर संपत्ति का नाश कर दिया । वह चोरी करने लगा । इसे देशांतर से लौटने पर अपना पुत्र दिखायी न देने से यह उसे खोजने सुरंगमार्ग से गया और इसका पुत्र चोरी करके उसी सुरंगमार्ग से लौटा । इसने अपना बैरी जानकर इसको तलवार से मार डाला था । पद्मपुराण 5. 96-105
(2) असरकुमार आदि भवनवासी देव । हरिवंशपुराण 3. 135