भावास्रव: Difference between revisions
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<p> राग आदि से दूषित वह भाव जिससे कर्म आते हैं, भावास्रव कहलाता है । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 140 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> राग आदि से दूषित वह भाव जिससे कर्म आते हैं, भावास्रव कहलाता है । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 140 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
देखें आस्रव - 1।
पुराणकोष से
राग आदि से दूषित वह भाव जिससे कर्म आते हैं, भावास्रव कहलाता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 140