भावास्रव
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
देखें आस्रव - 1।
पुराणकोष से
राग आदि से दूषित वह भाव जिससे कर्म आते हैं, भावास्रव कहलाता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 140
देखें आस्रव - 1।
राग आदि से दूषित वह भाव जिससे कर्म आते हैं, भावास्रव कहलाता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 140