वसुभूति: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) पुंडरीक नारायण के पूर्वभव के दीक्षागुरु । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 216 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) पुंडरीक नारायण के पूर्वभव के दीक्षागुरु । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 216 </span></p> | ||
<p id="2">(2) पद्मिनी नगरी के राजदूत अमृतस्वर का एक मित्र । अमृतस्वर के प्रवास में जाने पर यह भी उसके साथ गया था । यह मित्र अमृतस्वर की स्त्री उपयोगा में आसक्त था । फलस्वरूप इसने असिप्रहार से अमृतस्वर को मार डाला था । अपने पिता के मरण को कारण जानकर अमृतस्वर के पुत्र उदित और मुदित क्रोधित हुए । उदित ने इसे मारकर अपने पिता के मारे जाने का बदला लिया । यह मरकर म्लेच्छ हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 39.84-94 </span></p> | <p id="2">(2) पद्मिनी नगरी के राजदूत अमृतस्वर का एक मित्र । अमृतस्वर के प्रवास में जाने पर यह भी उसके साथ गया था । यह मित्र अमृतस्वर की स्त्री उपयोगा में आसक्त था । फलस्वरूप इसने असिप्रहार से अमृतस्वर को मार डाला था । अपने पिता के मरण को कारण जानकर अमृतस्वर के पुत्र उदित और मुदित क्रोधित हुए । उदित ने इसे मारकर अपने पिता के मारे जाने का बदला लिया । यह मरकर म्लेच्छ हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 39.84-94 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
(1) पुंडरीक नारायण के पूर्वभव के दीक्षागुरु । पद्मपुराण 20. 216
(2) पद्मिनी नगरी के राजदूत अमृतस्वर का एक मित्र । अमृतस्वर के प्रवास में जाने पर यह भी उसके साथ गया था । यह मित्र अमृतस्वर की स्त्री उपयोगा में आसक्त था । फलस्वरूप इसने असिप्रहार से अमृतस्वर को मार डाला था । अपने पिता के मरण को कारण जानकर अमृतस्वर के पुत्र उदित और मुदित क्रोधित हुए । उदित ने इसे मारकर अपने पिता के मारे जाने का बदला लिया । यह मरकर म्लेच्छ हुआ । पद्मपुराण 39.84-94