वसुभूति
From जैनकोष
(1) पुंडरीक नारायण के पूर्वभव के दीक्षागुरु । पद्मपुराण - 20.216
(2) पद्मिनी नगरी के राजदूत अमृतस्वर का एक मित्र । अमृतस्वर के प्रवास में जाने पर यह भी उसके साथ गया था । यह मित्र अमृतस्वर की स्त्री उपयोगा में आसक्त था । फलस्वरूप इसने असिप्रहार से अमृतस्वर को मार डाला था । अपने पिता के मरण को कारण जानकर अमृतस्वर के पुत्र उदित और मुदित क्रोधित हुए । उदित ने इसे मारकर अपने पिता के मारे जाने का बदला लिया । यह मरकर म्लेच्छ हुआ । पद्मपुराण - 39.84-94