वाहन: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) ग्रामों का एक भेद । तीर्थंकर वृषभदेव के समय में पर्वतों पर बसे हुए ग्राम ‘‘वाहन’’ नाम से जाने जाते थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 2.161 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) ग्रामों का एक भेद । तीर्थंकर वृषभदेव के समय में पर्वतों पर बसे हुए ग्राम ‘‘वाहन’’ नाम से जाने जाते थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 2.161 </span></p> | ||
<p id="2">(2) पारिव्राज्य क्रियाओं से संबंधित चौबीसवाँ सूत्रपद । इसके अनुसार वाहनों का त्याग करके तपश्चरण करने वाला कमलों के मध्य में चरण रखने के योग्य हो जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 39.165, 193 </span></p> | <p id="2">(2) पारिव्राज्य क्रियाओं से संबंधित चौबीसवाँ सूत्रपद । इसके अनुसार वाहनों का त्याग करके तपश्चरण करने वाला कमलों के मध्य में चरण रखने के योग्य हो जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 39.165, 193 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
(1) ग्रामों का एक भेद । तीर्थंकर वृषभदेव के समय में पर्वतों पर बसे हुए ग्राम ‘‘वाहन’’ नाम से जाने जाते थे । पांडवपुराण 2.161
(2) पारिव्राज्य क्रियाओं से संबंधित चौबीसवाँ सूत्रपद । इसके अनुसार वाहनों का त्याग करके तपश्चरण करने वाला कमलों के मध्य में चरण रखने के योग्य हो जाता है । महापुराण 39.165, 193