विमल: Difference between revisions
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<p id="1">(1) रुचकगिरि की दक्षिणदिशा का एक कूट । यशोधरादिक्कुमारी-देवी यहाँ रहती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.709 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) रुचकगिरि की दक्षिणदिशा का एक कूट । यशोधरादिक्कुमारी-देवी यहाँ रहती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.709 </span></p> | ||
<p id="2">(2) समवसरण के तीसरे कूट के पूर्वी द्वार का एक नाम । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57. 57 </span></p> | <p id="2">(2) समवसरण के तीसरे कूट के पूर्वी द्वार का एक नाम । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57. 57 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का उनचासवां नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22-90 </span></p> | <p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का उनचासवां नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22-90 </span></p> | ||
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<p id="11">(11) मघवा चक्रवर्ती के पूर्वभव के जीव राजा शशिप्रभ के दीक्षागुरू । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.131-133 </span></p> | <p id="11">(11) मघवा चक्रवर्ती के पूर्वभव के जीव राजा शशिप्रभ के दीक्षागुरू । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.131-133 </span></p> | ||
<p id="12">(12) सौमनस-पर्वत का एक कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 15.221 </span></p> | <p id="12">(12) सौमनस-पर्वत का एक कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 15.221 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
- विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर–देखें विद्याधर ।
- एक ग्रह–देखें ग्रह ।
- उत्तर क्षीरवर समुद्र का रक्षक देव–देखें व्यंतर - 4।
- सौमनस नामक गजदंत पर्वत का एक कूट–देखें लोक - 5.4।
- रुचक पर्वत का एक कूट–देखें लोक - 5.13।
- सौधर्म स्वर्ग का द्वि. पटल–देखें स्वर्ग - 5.3।
- भावी कालीन 22वें तीर्थंकर–देखें तीर्थंकर - 5।
- वर्तमान 13वें तीर्थंकर–देखें विमलनाथ ।
पुराणकोष से
(1) रुचकगिरि की दक्षिणदिशा का एक कूट । यशोधरादिक्कुमारी-देवी यहाँ रहती है । हरिवंशपुराण 5.709
(2) समवसरण के तीसरे कूट के पूर्वी द्वार का एक नाम । हरिवंशपुराण 57. 57
(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का उनचासवां नगर । हरिवंशपुराण 22-90
(4) राजा समुद्र विजय का मंत्री । हु0 50.49
(5) रुचकगिरि की पूर्वदिशा का एक कूट, चित्रादेवी की निवासभूमि । हरिवंशपुराण 5.719
(6) सौधर्म युगल का दूसरा पटल । हरिवंशपुराण 6.44 देखें सौधर्म
(7) आगामी बाईसवें तीर्थंकर । महापुराण 76.480, हरिवंशपुराण 60. 561
(8) वर्तमान काल के तेरहवें तीर्थंकर । महापुराण 2. 131, हरिवंशपुराण 1. 15 देखें विमलनाथ
(9) जंबूद्वीप के विदेहक्षेत्र में रम्य क्षेत्र का एक पर्वत । हरिवंशपुराण 60. 66
(10) क्षीरवर समुद्र का एक रक्षक देव । हरिवंशपुराण 5.642
(11) मघवा चक्रवर्ती के पूर्वभव के जीव राजा शशिप्रभ के दीक्षागुरू । पद्मपुराण 20.131-133
(12) सौमनस-पर्वत का एक कूट । हरिवंशपुराण 15.221