वैराग्यभावना: Difference between revisions
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<p> वैराग्य की कारणभूत भावनाएँ । इनसे पुरुष मोह को प्राप्त नहीं होता । वह ध्यान में स्थिर बना रहता है । जगत और शरीर के स्वरूप का बार-बार चिंतन करने तथा विषयों में अनासक्त रहने से वैराग्य में स्थिरता आती है । <span class="GRef"> महापुराण 21. 95, 99 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> वैराग्य की कारणभूत भावनाएँ । इनसे पुरुष मोह को प्राप्त नहीं होता । वह ध्यान में स्थिर बना रहता है । जगत और शरीर के स्वरूप का बार-बार चिंतन करने तथा विषयों में अनासक्त रहने से वैराग्य में स्थिरता आती है । <span class="GRef"> महापुराण 21. 95, 99 </span></p> | ||
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Revision as of 16:58, 14 November 2020
वैराग्य की कारणभूत भावनाएँ । इनसे पुरुष मोह को प्राप्त नहीं होता । वह ध्यान में स्थिर बना रहता है । जगत और शरीर के स्वरूप का बार-बार चिंतन करने तथा विषयों में अनासक्त रहने से वैराग्य में स्थिरता आती है । महापुराण 21. 95, 99