सोम: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
भद्रशाल वनस्थ पद्मोत्तर दिग्गजेंद्र का स्वामी देव-देखें [[ लोक#3.6 | लोक - 3.6]],4। | भद्रशाल वनस्थ पद्मोत्तर दिग्गजेंद्र का स्वामी देव-देखें [[ लोक#3.6 | लोक - 3.6]],4। | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1">(1) नंदनवन की पूर्व दिशा में विद्यमान पण्य भवन का निवासी एक देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.311-317 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) नंदनवन की पूर्व दिशा में विद्यमान पण्य भवन का निवासी एक देव । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.311-317 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वसुदेव के भाई राजा अभिचंद्र का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.52 </span></p> | <p id="2">(2) वसुदेव के भाई राजा अभिचंद्र का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.52 </span></p> | ||
<p id="3">(3) भरतक्षेत्र के सिंहपुर नगर का अभिमानी परिव्राजक । यह मरकर इसी नगर में फंसा हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 62.202-203, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.117-118 </span></p> | <p id="3">(3) भरतक्षेत्र के सिंहपुर नगर का अभिमानी परिव्राजक । यह मरकर इसी नगर में फंसा हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 62.202-203, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.117-118 </span></p> | ||
Line 26: | Line 27: | ||
<p id="13">(13) सौधर्मेंद्र का लोकपाल एक देव । नंदीश्वर द्वीप के दक्षिण में विद्यमान अजनगिरि की चारों दिशाओं में निमित वापियों में जयंती वापी इसकी क्रीडा स्थली है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.660-661 </span></p> | <p id="13">(13) सौधर्मेंद्र का लोकपाल एक देव । नंदीश्वर द्वीप के दक्षिण में विद्यमान अजनगिरि की चारों दिशाओं में निमित वापियों में जयंती वापी इसकी क्रीडा स्थली है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.660-661 </span></p> | ||
<p id="14">(14) ऐशानेंद्र का लोकपाल एक देव । नंदीश्वर द्वीप की उत्तरदिशावर्ती आनंदा वापी इसकी क्रीड़ा स्थली है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.664-665 </span></p> | <p id="14">(14) ऐशानेंद्र का लोकपाल एक देव । नंदीश्वर द्वीप की उत्तरदिशावर्ती आनंदा वापी इसकी क्रीड़ा स्थली है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.664-665 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:59, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
भद्रशाल वनस्थ पद्मोत्तर दिग्गजेंद्र का स्वामी देव-देखें लोक - 3.6,4।
पुराणकोष से
(1) नंदनवन की पूर्व दिशा में विद्यमान पण्य भवन का निवासी एक देव । हरिवंशपुराण 5.311-317
(2) वसुदेव के भाई राजा अभिचंद्र का पुत्र । हरिवंशपुराण 48.52
(3) भरतक्षेत्र के सिंहपुर नगर का अभिमानी परिव्राजक । यह मरकर इसी नगर में फंसा हुआ था । महापुराण 62.202-203, पांडवपुराण 4.117-118
(4) कैलास पर्वत के पास पर्णकांता नदी के तट पर रहनेवाला एक तापस । इसकी स्त्री श्रीदत्ता तथा पुत्र चंद्र था । महापुराण 63. 266-267
(5) भरतक्षेत्र में मगध देश के लक्ष्मीग्राम का निवासी एक ब्राह्मण । इसकी पत्नी को मुनि की निंदा करने से उदुंबर रोग हो गया था । महापुराण 71.317-320
(6) हस्तिनापुर का राजा । तीर्थंकर वृषभदेव ने इसे और राजा श्रेयांस को कुरुजांगल देश का स्वामी बनाया था । इसकी लक्ष्मीमती स्त्री थी । जयकुमार इसी के पुत्र थे । इसके विजय आदि चौदह अन्य पुत्र भी थे । पांडवपुराण 2.165, 207-208, 214, 3.2-3 देखें सोमप्रभ
(7) एक राजा । इसका पुत्र सिंहल कृष्ण का पक्षधर थ । हरिवंशपुराण 52.17
(8) विद्याधरों के चक्रवर्ती इंद्र का भक्त । माल्यवान् ने इसे भिंडिमाल शस्त्र से मूर्च्छित कर दिया था । पद्मपुराण 7.91, 95-96
(9) मकरध्वज विद्याधर और उसकी स्त्री अदिति का पुत्र । इंद्र ने इसे द्यौतिसंग नगर की पूर्व दिशा में लोकपाल के पद पर नियुक्त किया था । पद्मपुराण 7.108-109
(10) हस्तिनापुर का राजा । चौथे नारायण पुरुषोत्तम का यह पिता था । इसकी रानी सीता थी । पद्मपुराण 20.221-226
(11) गंधवती नगरी का पुरोहित । इसके सुकेतु और अग्निकेतु नाम के दो पुत्र थे । पद्मपुराण 41.115-116
(12) नमि विद्याधर का एक पुत्र । हरिवंशपुराण 22.107
(13) सौधर्मेंद्र का लोकपाल एक देव । नंदीश्वर द्वीप के दक्षिण में विद्यमान अजनगिरि की चारों दिशाओं में निमित वापियों में जयंती वापी इसकी क्रीडा स्थली है । हरिवंशपुराण 5.660-661
(14) ऐशानेंद्र का लोकपाल एक देव । नंदीश्वर द्वीप की उत्तरदिशावर्ती आनंदा वापी इसकी क्रीड़ा स्थली है । हरिवंशपुराण 5.664-665