हरिषेणा: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) साकेत नगर के राजा श्रीषेण और रानी श्रीकांता की बड़ी पुत्री और श्रीषेणा की बड़ी बहिन । ये दोनों बहिनें स्वयंवर में अपने-अपने पूर्वजन्म की प्रतिज्ञा का स्मरण करके बंधुजनों को छोड़कर तप करने लगीं थीं । <span class="GRef"> महापुराण 72. 253-254, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 64. 129-131 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) साकेत नगर के राजा श्रीषेण और रानी श्रीकांता की बड़ी पुत्री और श्रीषेणा की बड़ी बहिन । ये दोनों बहिनें स्वयंवर में अपने-अपने पूर्वजन्म की प्रतिज्ञा का स्मरण करके बंधुजनों को छोड़कर तप करने लगीं थीं । <span class="GRef"> महापुराण 72. 253-254, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 64. 129-131 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर शांतिनाथ के संघ की प्रमुख आर्यिका । <span class="GRef"> महापुराण 63.493 </span></p> | <p id="2">(2) तीर्थंकर शांतिनाथ के संघ की प्रमुख आर्यिका । <span class="GRef"> महापुराण 63.493 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
(1) साकेत नगर के राजा श्रीषेण और रानी श्रीकांता की बड़ी पुत्री और श्रीषेणा की बड़ी बहिन । ये दोनों बहिनें स्वयंवर में अपने-अपने पूर्वजन्म की प्रतिज्ञा का स्मरण करके बंधुजनों को छोड़कर तप करने लगीं थीं । महापुराण 72. 253-254, हरिवंशपुराण 64. 129-131
(2) तीर्थंकर शांतिनाथ के संघ की प्रमुख आर्यिका । महापुराण 63.493