भगवन्त भजन क्यों भूला रे: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: '''== भगवन्त भजन क्यों भूला रे ==''' (राग सोरठ)<br> भगवन्त भजन क्यों भूला रे ।।टेक ...) |
No edit summary |
||
Line 15: | Line 15: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:भूधरदासजी]] | [[Category:भूधरदासजी]] | ||
[[Category:आध्यात्मिक भक्ति]] |
Latest revision as of 07:34, 16 February 2008
== भगवन्त भजन क्यों भूला रे ==
(राग सोरठ)
भगवन्त भजन क्यों भूला रे ।।टेक ।।
यह संसार रैन का सुपना, तन धन वारि बबूला रे ।।
इस जीवन का कौन भरोसा, पावक में तृण-पूलारे ।
काल कुदार लिये सिर ठाड़ा, क्या समझै मन फूला रे ।।१ ।।
स्वारथ साधै पाँच पाँव तू, परमारथ को लूला रे ।
कहु कैसे सुख पैहै प्राणी, काम करै दुखमूला रे ।।२ ।।
मोह पिशाच छल्यो मति मारै, निज कर कंध वसूला रे ।
भज श्रीराजमतीवर `भूधर', दो दुरमति सिर धूला रे ।।३ ।।