अरे! हाँ चेतो रे भाई: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:42, 16 February 2008
(राग ख्याल)
अरे! हाँ चेतो रे भाई ।।
मानुष देह लही दुलही, सुघरी उघरी सतसंगति पाई।।१ ।।
जे करनी वरनी करनी नहिं, ते समझी करनी समझाई ।।२ ।।
यों शुभ थान जग्यो उर ज्ञान, विषै विषपान तृषा न बुझाई ।।३ ।।
पारस पाय सुधारस `भूधर', भीखके मांहि सु लाज न आई ।।४ ।।