चंद्र: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
Line 25: | Line 25: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1">(1) महाकांतिधारी, आकाशचारी, दिन-रात का विभाजक एक ग्रह-चंद्रमा । यह एक शीतलकिरणधारी ज्योतिष्क देव है । <span class="GRef"> महापुराण 3. 70-71, 86, 129, 132, 154, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3. 81-84 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) महाकांतिधारी, आकाशचारी, दिन-रात का विभाजक एक ग्रह-चंद्रमा । यह एक शीतलकिरणधारी ज्योतिष्क देव है । <span class="GRef"> महापुराण 3. 70-71, 86, 129, 132, 154, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3. 81-84 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक हृद-सरोवर । यह नील पर्वत से | <p id="2">(2) एक हृद-सरोवर । यह नील पर्वत से साढ़े पांच सौ योजन दूर नदी के मध्य में स्थित है । <span class="GRef"> महापुराण 63.199, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.194 </span></p> | ||
<p id="3">(3) कुशास्त्रज्ञ, पंचाग्नि-तप कर्ता एक तापस । यह सोम तापस और उसकी पत्नी श्रीदत्ता का पुत्र था । इसने पंचाग्नि तप किया था । इसके फलस्वरूप यह मरकर ज्योतिर्लोक में देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 63. 266-267 </span></p> | <p id="3">(3) कुशास्त्रज्ञ, पंचाग्नि-तप कर्ता एक तापस । यह सोम तापस और उसकी पत्नी श्रीदत्ता का पुत्र था । इसने पंचाग्नि तप किया था । इसके फलस्वरूप यह मरकर ज्योतिर्लोक में देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 63. 266-267 </span></p> | ||
<p id="4">(4) आगामी तीसरे काल का प्रथम बलभद्र । <span class="GRef"> महापुराण 76.485, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.568 </span></p> | <p id="4">(4) आगामी तीसरे काल का प्रथम बलभद्र । <span class="GRef"> महापुराण 76.485, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.568 </span></p> | ||
Line 36: | Line 36: | ||
<p id="11">(11) जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के पद्मक नगर का एक धनिक । यह गणितज्ञ रंभ का शिष्य था । इसने अपने मित्र आवलि को मारा था । मरकर यह बैल हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.114-119 </span></p> | <p id="11">(11) जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के पद्मक नगर का एक धनिक । यह गणितज्ञ रंभ का शिष्य था । इसने अपने मित्र आवलि को मारा था । मरकर यह बैल हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.114-119 </span></p> | ||
<p id="12">(12) रावण का सिंहरथारोही एक सामंत । <span class="GRef"> महापुराण 57.45-48 </span></p> | <p id="12">(12) रावण का सिंहरथारोही एक सामंत । <span class="GRef"> महापुराण 57.45-48 </span></p> | ||
<p id="13">(13) लक्ष्मण के | <p id="13">(13) लक्ष्मण के अढ़ाई सो पुत्रों में एक विख्यात पुत्र । <span class="GRef"> पद्मपुराण 94. 27-28 </span></p> | ||
<p>( 14) दुर्योधन का एक सुशिक्षित संदेशवाहक । यह द्रुपद को यह संदेश देने के लिए गया था कि वह द्रौपदी का विवाह किसी क्षत्रिय राजा से ही करे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 15.118-120 </span></p> | <p>( 14) दुर्योधन का एक सुशिक्षित संदेशवाहक । यह द्रुपद को यह संदेश देने के लिए गया था कि वह द्रौपदी का विवाह किसी क्षत्रिय राजा से ही करे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 15.118-120 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 48: | Line 48: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: च]] | [[Category: च]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Revision as of 23:25, 31 August 2022
सिद्धांतकोष से
- अपर विदेहस्थ देवमाल वक्षार का एक कूट व उसका रक्षक देव;–(देखें लोक - 5.10)।
- सुमेरु पर्वत के नंदन आदि वनों के उत्तर भाग में स्थित कुबेर का भवन व गुफा–देखें लोक - 3.64;
- रुचक पर्वत का एक कूट–देखें लोक - 5.13;
- सौधर्म स्वर्ग का 2रा व 3रा पटल–देखें स्वर्ग - 5.3;
- दक्षिण अरुणवरद्वीप का रक्षक व्यंतर देव–देखें व्यंतर - 4;
- एक ग्रह–देखें ग्रह ।
- चंद्रग्रह संबंधी विषय—देखें ज्योतिष देव - 4।
पुराणकोष से
(1) महाकांतिधारी, आकाशचारी, दिन-रात का विभाजक एक ग्रह-चंद्रमा । यह एक शीतलकिरणधारी ज्योतिष्क देव है । महापुराण 3. 70-71, 86, 129, 132, 154, पद्मपुराण 3. 81-84
(2) एक हृद-सरोवर । यह नील पर्वत से साढ़े पांच सौ योजन दूर नदी के मध्य में स्थित है । महापुराण 63.199, हरिवंशपुराण 5.194
(3) कुशास्त्रज्ञ, पंचाग्नि-तप कर्ता एक तापस । यह सोम तापस और उसकी पत्नी श्रीदत्ता का पुत्र था । इसने पंचाग्नि तप किया था । इसके फलस्वरूप यह मरकर ज्योतिर्लोक में देव हुआ । महापुराण 63. 266-267
(4) आगामी तीसरे काल का प्रथम बलभद्र । महापुराण 76.485, हरिवंशपुराण 60.568
(5) रुचक्रसिरि का दक्षिण दिशावर्ती एक कूट । हरिवंशपुराण 5.710
(6) एक देव । हरिवंशपुराण 60. 108
(7) अभिचंद्र का कीर्तिमान् ज्येष्ठ पुत्र । हरिवंशपुराण 48-52
(8) राजा उग्रसेन का कनिष्ट पुत्र । हरिवंशपुराण 48.39
(9) सौधर्म युगल का तृतीय इंद्रक पटल । हरिवंशपुराण 644 देखें सौधर्म
(10) विद्याधर शशांकमुख का पुत्र और चंद्रशेखर का पिता । पद्मपुराण 5.50
(11) जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के पद्मक नगर का एक धनिक । यह गणितज्ञ रंभ का शिष्य था । इसने अपने मित्र आवलि को मारा था । मरकर यह बैल हुआ । पद्मपुराण 5.114-119
(12) रावण का सिंहरथारोही एक सामंत । महापुराण 57.45-48
(13) लक्ष्मण के अढ़ाई सो पुत्रों में एक विख्यात पुत्र । पद्मपुराण 94. 27-28
( 14) दुर्योधन का एक सुशिक्षित संदेशवाहक । यह द्रुपद को यह संदेश देने के लिए गया था कि वह द्रौपदी का विवाह किसी क्षत्रिय राजा से ही करे । पांडवपुराण 15.118-120