निशुंभ: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> चौथा प्रतिनारायण यह पुंडरीक के साथ युद्ध करते हुए उसके द्वारा चलाये चक्र से निष्प्राण होकर नरक में गया । दूरवर्ती पूर्वभव में यह राजसिंह मल्ल था तथा यही राजसिंह हस्तिनापुर में <span class="GRef"> महापुराण </span>क्रीड प्रसिद्ध राजा हुआ <span class="GRef"> महापुराण 61.59, 74.75, 65.183 184</span>; <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.244,</span>; <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.291, </span>; <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.114 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> चौथा प्रतिनारायण यह पुंडरीक के साथ युद्ध करते हुए उसके द्वारा चलाये चक्र से निष्प्राण होकर नरक में गया । दूरवर्ती पूर्वभव में यह राजसिंह मल्ल था तथा यही राजसिंह हस्तिनापुर में <span class="GRef"> महापुराण </span>क्रीड प्रसिद्ध राजा हुआ <span class="GRef"> महापुराण 61.59, 74.75, 65.183 184</span>; <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.244,</span>; <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.291, </span>; <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.114 </span></p>। | ||
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Revision as of 16:04, 17 September 2022
सिद्धांतकोष से
महापुराण/अधि./श्लोक – दूरवर्ती पूर्व भव में राजसिंह नामका बड़ा मल्ल था। (61/59-60)। अपर नाम मधु्क्रीड़ था। पूर्व भव में पुंडरीक नामक नारायण के जीव का शत्रु था। (65/180)। वर्तमान भव में पाँचवाँ प्रतिनारायण हुआ –देखें शलाका पुरुष - 5।
पुराणकोष से
चौथा प्रतिनारायण यह पुंडरीक के साथ युद्ध करते हुए उसके द्वारा चलाये चक्र से निष्प्राण होकर नरक में गया । दूरवर्ती पूर्वभव में यह राजसिंह मल्ल था तथा यही राजसिंह हस्तिनापुर में महापुराण क्रीड प्रसिद्ध राजा हुआ महापुराण 61.59, 74.75, 65.183 184; पद्मपुराण 20.244,; हरिवंशपुराण 60.291, ; वीरवर्द्धमान चरित्र 18.114
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