User contributions for Sanjolikandya
8 March 2023
- 14:4114:41, 8 March 2023 diff hist +228 स्वप्न No edit summary
- 14:2914:29, 8 March 2023 diff hist +42 परोदय No edit summary current
- 14:2814:28, 8 March 2023 diff hist +42 परीत No edit summary
- 14:2014:20, 8 March 2023 diff hist −2 परिहारविशुद्धि No edit summary
- 14:1814:18, 8 March 2023 diff hist +42 परिस्पंद No edit summary current
- 14:0914:09, 8 March 2023 diff hist +42 परिवर्त No edit summary current
- 14:0614:06, 8 March 2023 diff hist +42 परिपीडित No edit summary current
- 14:0214:02, 8 March 2023 diff hist +51 परिणामी No edit summary current
- 13:4413:44, 8 March 2023 diff hist +42 माषफल No edit summary current
- 13:4413:44, 8 March 2023 diff hist +75 माल्यवान् No edit summary current
- 13:4013:40, 8 March 2023 diff hist +42 मालिकोद्वहन No edit summary current
- 13:3913:39, 8 March 2023 diff hist +42 मालारोहण No edit summary current
6 March 2023
- 19:2019:20, 6 March 2023 diff hist +42 मालांग No edit summary current
- 18:2918:29, 6 March 2023 diff hist +81 मानव No edit summary
- 18:2818:28, 6 March 2023 diff hist +42 मानव योजन No edit summary current
4 March 2023
- 13:5713:57, 4 March 2023 diff hist +2,377 स्वप्न No edit summary
- 13:4313:43, 4 March 2023 diff hist −6 कल्याणक No edit summary
- 13:4113:41, 4 March 2023 diff hist +60 कल्याणक No edit summary
30 January 2023
- 19:1719:17, 30 January 2023 diff hist +1,142 N File:नि शंकित अंग अंजन चोर.jpeg source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/8-Ang-Ki-Kathaye.aspx सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 1. नि:शंकित अंग/पहला पैर, जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गये वचनों में सन्देह नहीं करना नि:शंकित अंग है। नि:शंकित अंग पहला पैर है।जब हम चलना चाहते हैं तो बिना किसी शंका के पूरे उत्साह के साथ पहला कदम रखते हैं।उसी प्रकार सबसे पहले जो शंका और भय से रहित होकर धर्म क्षेत्र में प्रवृत्त होता है उसी का नाम नि:शंकित अंग है। निशंकित अंग में अंजन चोर प्रसिद्द हुआ। current
- 19:1319:13, 30 January 2023 diff hist +1,206 N File:नि कांक्षित अंग सती अनन्तमती.jpeg source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-14.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 2. नि:कांक्षित अंग/पिछला पैर:- धर्म को धारण करके संसार के सुखों की वांछा( इच्छा) नहीं करना नि:कांक्षित अंग है। हमारा पिछला पैर नि:कांक्षित अंग है।जैसे हम पहला पैर शंकारहित होकर रखते हैं वैसे ही पिछला पैर बिना किसी आकांक्षा के उपेक्षा से हटाते हैं।इसी प्रकार सम्यग्दृष्टि पुरुष मोक्षमार्ग में बिना किसी आकांक्षा के आगे बढता जाता है। निःकांक्षित अंग में अनन्तमती प्रसिद्द... current
- 12:5412:54, 30 January 2023 diff hist +1,172 N File:निर्विचिकित्सा अंग राजा उद्दायन.jpeg source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-13.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 3. निर्विचिकित्सा अंग/बाँया हाथ:- मुनियों के मैले शरीर को देखकर ग्लानि नहीं करना निर्विचिकित्सा अंग है। हमारा बाँया हाथ निर्विचिकित्सा अंग है। मनुष्य बाँये हाथ से बिना किसी ग्लानि के अपना मल धोता है।उसी प्रकार सम्यग्दृष्टि मनुष्य स्वभाव से अपवित्र होते हुए भी रत्नत्रय से पवित्र सन्तों से ग्लानि नहीं करता। निर्विचिकित्सा अंग में राजा उद्दायन प्रसिद्द हुए। current
- 12:5212:52, 30 January 2023 diff hist +1,252 N File:अमूढदृष्टि अंग रेवती रानी.jpeg source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-12.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 4. अमूढदृष्टि अंग/दाहिना हाथ :- साँचे और झूठे तत्वों की पहचान कर मूढताओं में नहीं फँसना अमूढदृष्टि अंग है। हमारा दाहिना हाथ अमूढदृष्टि अंग है।किसी बात को दृढता पूर्वक महिमा मण्डित करने के लिये हम दाहिना हाथ ही उठाते हैं -उसी प्रकार धर्म क्षेत्र में भी यही है,ऐसा ही है,अन्य नहीं -इस प्रकार की दृढता का सूचक अमूढदृष्टि अंग हमारे दाहिने हाथ के समान है। अमूढ़दृष्टि अंग में... current
- 12:5112:51, 30 January 2023 diff hist +1,088 N File:उपगूहन अंग जिनेन्द्रभक्त सेठ.jpeg source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-11.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 5. उपगूहन अंग/ नितम्ब :- अपने गुणों को और पर के अवगुणों को प्रकट नहीं करना और अपने धर्म को बताना उपगूहन अंग है। हमारे शरीर में नितम्ब उपगूहन अंग की तरह है।हम नितम्ब को ढककर रखते हैं -अनावृत नहीं करते क्योंकि ऐसा करना लज्जाजनक है।इसी प्रकार ज्ञानी जन दूसरों के दोषों को प्रकट नहीं करते। जिनेन्द्रभक्त सेठ उपगूहन अंग में प्रसिद्द हुए। current
- 12:4912:49, 30 January 2023 diff hist +1,177 N File:स्थितिकरण अंग वारिषेण मुनिराज.jpeg source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-10.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 6. स्थितिकरण अंग/ पीठ :- काम- विकार आदि के कारण धर्म से भ्रष्ट होते हुए को फिर से धर्म में स्थित कर देना स्थितिकरण अंग है। हमारी पीठ स्थितिकरण अंग की भाँति है।जिस प्रकार हम पीठ पर अधिकतम बोझा रखकर उसे नीचे गिरने नहीं देते -उसी प्रकार सम्यग्दृष्टि भी स्व तथा पर को धर्म में स्थित करके रखता है तथा उसे नीचे गिरने नहीं देता है। स्थितिकरण अंग में वारिषेण मुनि प्रसिद्द हुए। current
- 12:4712:47, 30 January 2023 diff hist +971 N File:वात्सल्य अंग विष्णुकुमार मुनि.jpeg source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-9.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 7. वात्सल्य अंग/हृदय :- अपने सहधर्मियों से बछड़े पर गाय के प्रेम के समान निष्कपट प्रेम करना वात्सल्य अंग है। हमारे शरीर का हृदय वात्सल्य अंग की भाँति है।जिसके हृदय में धर्मात्माओं के प्रति अनुराग होता है वही वात्सल्य अंग का धारक होता है। वात्सल्य अंग में विष्णुकुमार मुनि प्रसिद्द हुए। current
- 12:4512:45, 30 January 2023 diff hist +1,022 N File:प्रभावना अंग वज्रकुमार मुनि.jpeg source: https://www.jainpuja.com/jain-puja/images/Bhag-3-Lasson-8.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, 8.प्रभावना अंग/ मस्तक :- जैन धर्म का प्रचार करते हुए अपनी आत्मा को रत्नत्रय से सुशोभित करना, सजाना प्रभावना अंग है। हमारा सिर अंग प्रभावना अंग की तरह है।जैसे शरीर में हमारे चेहरे का,मस्तक का प्रभाव पड़ता है वैसे ही धर्म की प्रभावना से दूसरों पर प्रभाव पड़ता है।प्रभावना अंग में वज्रकुमार मुनि प्रसिद्द हुए। current
- 12:4312:43, 30 January 2023 diff hist +427 N File:सम्यग्दर्शन के आठ अंग 3.jpg source: https://nikkyjain.github.io/jainDataBase/poojas/07_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE/02_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE--%E0%A4%AA%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE/images/3.12.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार current
- 12:4112:41, 30 January 2023 diff hist +427 N File:सम्यग्दर्शन के आठ अंग 2.jpeg source: https://nikkyjain.github.io/jainDataBase/poojas/07_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE/02_%E0%A4%9B%E0%A4%B9%E0%A4%A2%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE--%E0%A4%AA%E0%A4%82-%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B2%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE/images/3.11.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार current
- 12:3912:39, 30 January 2023 diff hist +311 N File:सम्यग्दर्शन के आठ अंग.jpg source: https://vidyasagarmedia.s3.us-east-2.amazonaws.com/monthly_2020_10/1933056985_sakriyasamyakdarshan-1.thumb.jpg.965e042093184f9607d4bdaf34eb0cea.jpg सम्यक दर्शन के आठ अंग, छहढाला, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार current
22 November 2022
- 14:5714:57, 22 November 2022 diff hist +564 N File:१०. उत्तम ब्रह्मचर्य.jpg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम ब्रह्मचर्य, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, ब्रह्मचर्य: विषय सेवन व यौन भावों को मन वचन काम से छोड़ना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/27227968499/in/album-72157661525137157/ current
- 14:5714:57, 22 November 2022 diff hist +482 N File:९ . उत्तम अकिंचन.jpg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम अकिंचन, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, आकिंचन: परिग्रह का त्याग करना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969173472/in/album-72157661525137157/ current
- 14:5614:56, 22 November 2022 diff hist +447 N File:८. उत्तम त्याग.jpg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम त्याग, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, त्याग: त्याग करना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/25134730138/in/album-72157661525137157/ current
- 14:5414:54, 22 November 2022 diff hist −3 File:६. उत्तम संयम.jpg →Summary current
- 14:5414:54, 22 November 2022 diff hist −6 File:५. उत्तम शौच.jpg →Summary current
- 14:5314:53, 22 November 2022 diff hist −3 File:४. उत्तम सत्य.jpg →Summary current
- 14:5314:53, 22 November 2022 diff hist 0 File:३ . उत्तम आर्जव.jpg →Summary current
- 14:5214:52, 22 November 2022 diff hist +3 File:२. उत्तम मार्दव.jpg →Summary current
- 14:5214:52, 22 November 2022 diff hist −9 File:७. उत्तम तप.jpg →Summary current
- 14:4814:48, 22 November 2022 diff hist +453 N File:७. उत्तम तप.jpg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, तप: इच्छायें छोड़ना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969171962/in/album-72157661525137157/
- 14:4614:46, 22 November 2022 diff hist +494 N File:६. उत्तम संयम.jpg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, संयम: इन्द्रियों व मन को वश में करना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/27227967689/in/album-72157661525137157/
- 14:4314:43, 22 November 2022 diff hist +448 N File:५. उत्तम शौच.jpg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, शौच: लोभ नहीं करना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/25134731918/in/album-72157661525137157/
- 14:4114:41, 22 November 2022 diff hist +454 N File:४. उत्तम सत्य.jpg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, सत्य: सत्य वचन बोलना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969172052/in/album-72157661525137157/
- 14:3514:35, 22 November 2022 diff hist +494 N File:३ . उत्तम आर्जव.jpg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, आर्जव: कपट नहीं करना, माया कपट छोडना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969173282/in/album-72157661525137157/
- 14:3414:34, 22 November 2022 diff hist +484 N File:२. उत्तम मार्दव.jpg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, मार्दव: मान नहीं करना, अहं छोडना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969173082/in/album-72157661525137157/
- 14:3014:30, 22 November 2022 diff hist +616 N File:१. उत्तम क्षमा.jpg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, उत्तम क्षमा, ऋषि पंचमी, मोक्ष को पाने का प्रथम मागॅ, क्षमा: शांत तथा समता भाव से अपने आप में क्लेश ना होने देना व क्रोध छोड़ना। source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969172652/in/album-72157661525137157/ current
- 14:2914:29, 22 November 2022 diff hist +322 N File:Daslakshan-Parv.jpeg दसलक्षण पर्व, दसलक्षण धर्म, १० धर्म, पवाॅधिराज, पर्यूषण, दसलक्षण, महापर्व, मोक्ष को पाने का मागॅ source: https://i.ytimg.com/vi/YbrO-vEu8Ks/maxresdefault.jpg current
15 October 2022
- 20:2120:21, 15 October 2022 diff hist +376 N File:12. धर्म भावना.jpg 12. धर्म भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/27228198249/in/album-72157690251113164// current
- 20:2120:21, 15 October 2022 diff hist +394 N File:11. बोधि दुर्लभ भावना.jpg 11. बोधि दुर्लभ भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969478062/in/album-72157690251113164/ current
- 20:2020:20, 15 October 2022 diff hist +372 N File:10. लोक भावना.jpg 10. लोक भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38118549245/in/album-72157690251113164/ current
- 20:1720:17, 15 October 2022 diff hist +383 N File:9. निर्जरा भावना.jpg 9. निर्जरा भावना, बारह भावना, जैन धर्म में बारह प्रकार कि भावना का वर्णन हैं जो आत्मा को धर्म का दर्शन कराती है source: https://www.flickr.com/photos/jinswara/38969476662/in/album-72157690251113164/ current