भौम
From जैनकोष
(1) व्यंतर देव । हरिवंशपुराण - 3.162
(2) पृथिवीकायिक जीव । हरिवंशपुराण - 18.70
(3) अष्टांग निमित्तज्ञान का एक अंग । इससे पृथिवी के स्थान आदि के भेद से हानि-वृद्धि तथा पृथिवी के भीतर रखे हुए रत्न आदि का पता लगाया जाता है । महापुराण 62.181, 184, हरिवंशपुराण - 10.117