पर्यायसमास
From जैनकोष
श्रुतज्ञान के बीस भेदों में दूसरा भेद । श्रुतज्ञान का आवरण होने पर भी प्रकट रहने वाला पर्याय-श्रुतज्ञान जब ज्ञान के अनंतवें भाग के साथ मिल जाता है, तब वह ज्ञान इस नाम से संबोधित किया जाता है । पर्याय-ज्ञान के ऊपर संख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणवृद्धि और अनंतगुणवृद्धि के क्रम से वृद्धि होते-होते जब अक्षर-ज्ञान की पूर्णता होती है तब पर्यायसमास का ज्ञान होता है । हरिवंशपुराण - 10.12-13,हरिवंशपुराण - 10.19-21