हमकौं कछू भय ना रे
From जैनकोष
(राग-सोरठ)
हमकौं कछू भय ना रे, जान लियौ संसार ।।हमकौं. ।।टेक ।।
जो निगोदमें सो ही मुझमें, सो ही मोक्ष मँझार ।
निश्चय भेद कछू भी नाहीं भेद गिनैं संसार ।।१ ।।हमकौं. ।।
परवश ह्वै आपा विसारिके, राग दोषकौं धार ।
जीवत मरत अनादि कालतें, यौंही है उरझार ।।२ ।।हमकौं. ।।
जाकरि जैसैं जाहि समयमें, जो होवत जा द्वार ।
सो बनि है टरि है कछु नाहीं, करि लीनौं निरधार ।।३ ।।हमकौं. ।।
अग्नि जरावै पानी बोवै, बिछुरत मिलत अपार ।
सो पुद्गल रूपीमैं बुधजन, सबकौ जाननहार ।।३ ।।हमकौं. ।।