संभ्रमदेव
From जैनकोष
काशी नगरी का श्रावक । इसने अपनी दासी के कूट और कार्पटिक दोनों पुत्रों को जिनमंदिर में नियुक्त कर दिया था । पुण्य के प्रभाव से दोनों मरकर रूपानंद और सुरूप नामक व्यंतर देव हुए । पद्मपुराण - 5.122-123
काशी नगरी का श्रावक । इसने अपनी दासी के कूट और कार्पटिक दोनों पुत्रों को जिनमंदिर में नियुक्त कर दिया था । पुण्य के प्रभाव से दोनों मरकर रूपानंद और सुरूप नामक व्यंतर देव हुए । पद्मपुराण - 5.122-123