कुलंकर
From जैनकोष
नाग नगर के राजा हरिपति और उसकी रानी मनोलूता का पुत्र । पूर्वभव में यह विनीता नगरी के राजा सुप्रभ और रानी प्रह्लादना का पुत्र था और उसी भव में इसने भगवान आदिनाथ के साथ ही दीक्षा ली थी । पर यह दीक्षा की चर्या का पालन नहीं कर सका और संसार मे भ्रमण करता रहा । इस भव में राजा बनने के पश्चात् कुलंकर ने अभिनंदित मुनि के दर्शन किये । उनसे प्रबोध प्राप्त किया और उसने मुनि बनने की इच्छा प्रकट की, पर उसके मंत्रियों और पुरोहित के प्रभाव से वह अपनी इच्छा पूर्ण नहीं कर सका । घटनाचक्र के प्रवाह में फँसकर उसने अपने प्राण गंवाये । पद्मपुराण 85.45-62