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जैन शब्दों का अर्थ जानने के लिए किसी भी शब्द को नीचे दिए गए स्थान पर हिंदी में लिखें एवं सर्च करें

कुल

From जैनकोष

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सिद्धांतकोष से

  1. सर्वार्थसिद्धि/9/24/442/9 दीक्षकाचार्यशिष्यसंस्त्याय: कुलम्​।=दीक्षकाचार्य के शिष्य समुदाय को कुल कहते हैं। ( राजवार्तिक/9/24/9/623 );( चारित्रसार/151/3 )
    प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/203/276/7 लोकदुगुंच्छारहितत्वेन जिनदीक्षायोग्यं कुल भण्यते।=लौकिक दोषों से रहित जो जिनदीक्षा के योग्य होता है उसे कुल कहते हैं।
    मूल आचार/भाषा/221 जाति भेद को कुल कहते हैं।
  2. 199½  लाख क्रोड़ की अपेक्षा कुलों का नाम निर्देश—
    मूल आचार/221−225 बावीससत्ततिण्णि अ सत्तय कुलकोडि सद सहस्साई। णेयापुढविदगागणिवाऊकायाण परिसंखा।221। कोडिसदसहस्साइं स्रत्तट्ठ व णव य अट्ठबीसं च। बेइंदियतेइंदियचउरिदियहरिदकायाणं।222। अद्धतेरस बारस दसयं कुलकोडिसद्​सहस्साइं। जलचरपक्खिचउप्पयउरपरिसप्पेसु णव होंति।223। छव्वीसं पणवीसं चउदसकुलकोडिसदसहस्साइं। सुरणेरइयणराणं जहाकमं होइ णायव्वं।224। एया य कोडिकोडी णवणवदीकोडिसदसहस्साइं। पण्णारसं च सहस्सा संवग्गोणं कुलाण कोडोओ।225।
    अर्थ=

 

एकेंद्रियों में

 

1.

पृथिविकायिक जीवों में       

=22 लाख क्रोड कुल

2.

अपकायिक जीवों में                

=7 लाख क्रोड कुल

3.

तेजकायिक जीवों में        

=3 लाख क्रोड कुल

4.

वायुकायिक जीवों में       

=7  लाख क्रोड कुल

5.

वनस्पतिकायिक जीवों में            

=28 लाख क्रोड कुल

 

विकलत्रय

 

1.

द्विइंद्रिय जीवों में         

=7  लाख क्रोड कुल

2.

त्रिइंद्रिय जीवों में             

=8  लाख क्रोड कुल

3.

चतुरिंद्रिय जीवों में             

=9  लाख क्रोड कुल

 

पंचेंद्रिय

 

1.

पंचेंद्रिय जलचर जीवों में   

=12½ लाख क्रोड कुल

2.

पंचेंद्रिय खेचर जीवों में        

=12  लाख क्रोड कुल

3.

पंचेंद्रिय भूचर चौपाये जीवों में    

=10  लाख क्रोड कुल

4.

पंचेंद्रिय भूचर सर्पादि जीवों में     

=9  लाख क्रोड कुल

5.

नारक जीवों में          

=25  लाख क्रोड कुल

6.

मनुष्यों में             

=14 लाख क्रोड कुल

7.

देवों में               

=26 लाख क्रोड कुल

 

कुल सर्व कुल             

=199½ लाख क्रोड कुल

  1. 3. 197½ लाख क्रोड़ की अपेक्षा कुलों का नाम निर्देश
    नियमसार/ टी./42/276/7 पूर्वोक्त वत् ही है, अंतर केवल इतना है कि वहाँ मनुष्य में 14 लाख क्रोड़ कुल कहे हैं, और यहाँ मनुष्यों में 12 लाख क्रोड़ कुल कहे हैं। इस प्रकार 2 क्रोड़ कुल का अंतर हो जाता है। ( तत्त्वसार/2/112 −116); ( गोम्मटसार जीवकांड मूल/193−117)
  2. कुल व जाति में अंतर गोम्मटसार जीवकांड/ भाषा./117/278/6 जाति है सो तौ योनी है तहाँ उपजने के स्थान रूप, पुद्​गल स्कंध के भेदनि का ग्रहण करना। बहुरि कुल है सो जिनि पुद्​गलकरि शरीर निपजें तिनि के भेद रूप हैं। जैसैं शरीर पुद्​गल आकारादि भेदकरि पंचेंद्रिय तिर्यंचविषै हाथी, घोड़ा इत्यादि भेद हैं ऐसे सो यथासंभव जानना।

 


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पुराणकोष से

(1) पिता का वंश । महापुराण 39.85,59.261
(2) जीवों का कुल । अहिंसा महाव्रत के पालन में मुनि को आगमों मे बताये हुए जीवों के कुलों का भी ध्यान रखना पड़ता है । देखें कुलकोटि


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