मुक्ताहार
From जैनकोष
(1) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का छत्तीसवाँ नगर । महापुराण 19.83, 87
(2) कंठ का आभूषण-मोतियों से निर्मित हार । इसे स्त्री और पुरुष दोनों धारण करते थे । इसका अपर नाम मुक्तामाला था । महापुराण 15.81, पद्मपुराण -3.2, 774, पद्मपुराण -71.2