सुषमा
From जैनकोष
अवसर्पिणी का दूसरा काल । इसका समय तीन कोड़ाकोड़ी सागर है, इस काल में मनुष्य चार हजार धनुष ऊंचे होते हैं । स्त्री पुरुष दोनों साथ-साथ युगल रूप में जन्मते हैं इनकी आयु दो पल्य की होती है । इस काल में मनुष्य दो दिन के अंतर से कल्पवृक्ष से प्राप्त बहेड़े के बराबर आहार करते हैं । महापुराण 3.45-50, पद्मपुराण - 3.49-63, हरिवंशपुराण - 7.58-69, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.87, 95-97